मरीजों के मर्ज पर सिस्टम की दिलासा
बुखार और डेंगू से पूरा जिला कराह रहा है। सीएचसी और पीएचसी पर उपचार के इंतजाम न होने से मरीजों को जिला अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ रही है। प्रशासन द्वारा बेहतर इंतजामों का दावा तो किया जा रहा है लेकिन रात के अंधेरे में व्यवस्था खुद ही बीमार पड़ जाती है। जागरण ने शुक्रवार की रात इमरजेंसी में पहुंचकर प्रशासनिक प्रबंधों की पड़ताल की तो हकीकत बदहाल दिखी। इमरजेंसी में आधा सैकड़ा मरीजों के उपचार में नर्सिंग स्टाफ अपना दम झोंकने में लगा था लेकिन भीड़ थी कि काबू ही नहीं हो रही थी। इस अव्यवस्था को दूर कर हालातों को संभालने के लिए स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं दिखा।
जासं, मैनपुरी : केस एक :
दन्नाहार रोड निवासी अंगूरी देवी (38) पत्नी सुरेश कुमार बुखार से बीमार थीं। गंभीर हालत में स्वजन टेंपो की मदद से महिला को इमरजेंसी लेकर पहुंचे। लगभग 15 मिनट तक स्वजन उपचार के लिए भटकते रहे, लेकिन उनका नंबर नहीं आ पाया। थककर कचहरी रोड पर संचालित एक प्राइवेट अस्पताल में मरीज को ले गए। केस दो :
शहर के आगरा बाइपास रोड निवासी अवनी (पांच) पुत्री मनीष को भी स्वजन बुखार से गंभीर हालत में लेकर इमरजेंसी पहुंचे थे। लगभग पांच मिनट तो स्टाफ यह बोलकर उन्हें सैफई जाने की सलाह देता रहा कि यहां कोई बाल रोग विशेषज्ञ ही नहीं हैं। बाद में स्वजन के विरोध पर उपचार की औपचारिकता पूरी की। राहत न मिलती देख स्वजन बालिका को प्राइवेट अस्पताल ले गए। बुखार और डेंगू से पूरा जिला कराह रहा है। सीएचसी और पीएचसी पर उपचार के इंतजाम न होने से मरीजों को जिला अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ रही है। प्रशासन द्वारा बेहतर इंतजामों का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन रात के अंधेरे में व्यवस्था खुद ही बीमार पड़ जाती है। जागरण ने शुक्रवार की रात इमरजेंसी में पहुंचकर प्रशासनिक प्रबंधों की पड़ताल की तो हकीकत बदहाल दिखी। इमरजेंसी में आधा सैकड़ा मरीजों के उपचार में नर्सिंग स्टाफ अपना दम झोंकने में लगा था, लेकिन भीड़ थी कि काबू ही नहीं हो रही थी। इस अव्यवस्था को दूर कर हालातों को संभालने के लिए स्वास्थ्य विभाग का कोई भी अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं दिखा। स्टाफ नर्स की अपनी अलग व्यथा
इमरजेंसी में सिर्फ भूतल में ही मरीजों के उपचार की व्यवस्था है। इन दिनों अस्थाई तौर पर प्रथम तल को भी भर्ती वार्ड बनाया गया है। भूतल में रात के समय में दो डाक्टर और छह स्टाफ नर्स ड्यूटी संभाल रहे थे। इनमें से दो माइनर ओटी देख रहे थे, दो इमरजेंसी में मरीजों को संभाल रहे थे और शेष दो वार्ड में भर्ती मरीजों को उपचार दे रहे थे। प्रथम तल पर सिर्फ भर्ती मरीज ही थे, जिनकी देखरेख के लिए स्टाफ नर्स नैनसी और वार्ड ब्वाय तैनात थे। फार्मासिस्ट नहीं थे। महिला स्टाफ नर्स ने अपनी व्यथा सुनाते हुए कहा कि न तो शौचालय है और न ही पीने के लिए पानी। उस पर महीने भर के रोस्टर में रात की ड्यूटी लगा दी गई है। दलाल रहते हैं हावी
रात के समय में इमरजेंसी में दलाल हावी रहते हैं। यहां आने वाले मरीजों को उपचार न होने की बात बताकर बरगलाकर प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचाते हैं। इनके बारे में जानकारी होने के बावजूद पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं कराई गई। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कई बार लिखकर कोतवाली पुलिस को भी शिकायत दी गई है। मरीजों के उपचार के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। रात के समय में समस्या को देखते हुए अबसे दो-दो फार्मासिस्ट तैनात रहेंगे। एक भूतल पर और दूसरे प्रथम तल पर ड्यूटी देंगे। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा भी रात में निरीक्षण किया जाएगा।
डा. पीपी सिंह, सीएमओ