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स्वेटर घोटाले में एनपीआरसी निलंबित

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: बेसिक शिक्षा विभाग में लाखों के स्वेटर घोटाले सामने आने के बाद अब पहली गाज

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Apr 2018 11:16 PM (IST)Updated: Sun, 15 Apr 2018 11:16 PM (IST)
स्वेटर घोटाले में एनपीआरसी निलंबित
स्वेटर घोटाले में एनपीआरसी निलंबित

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: बेसिक शिक्षा विभाग में लाखों के स्वेटर घोटाले सामने आने के बाद अब पहली गाज कुरावली के एक एनपीआरसी पर गिरी है। बीएसए ने एनपीआरसी को निलंबित कर दिया। वहीं खंड शिक्षाधिकारी से स्पष्टीकरण तलब किया गया है।

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बेसिक शिक्षा विभाग में परिषदीय स्कूलों में स्वेटर वितरण के नाम पर लाखों का घालमेल किया गया है। कुछ ब्लॉकों में तो एनपीआरसी के जरिए ठेकेदारों से स्वेटर बंटवाए गए। 200 रुपये प्रत्येक स्वेटर के लिए धनराशि शासन ने जारी की है। ऐसे में स्वेटर वितरण के नाम पर लाखों का कमीशन भी लिया गया है। जागरण ने कमीशन के खेल को उजागर किया, तो बेसिक शिक्षा विभाग में खलबली मच गई। हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग इसके बाद भी कमीशन की बात से लगातार पल्ला झाड़ता रहा। विभाग के ही एक एनपीआरसी ने कमीशनबाजी के खेल पर मुहर लगा दी। विकास खंड कुरावली के एनपीआरसी लखौरा मनोज कुमार ने 12 अप्रैल को शिक्षकों के वाट्सएप ग्रुप में जल्द से जल्द कमीशन जमा करने का मैसेज डाल दिया। जागरण से बातचीत में मनोज कुमार ने कमीशन का खेल स्वीकारा भी। जागरण ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया तो जिलाधिकारी प्रदीप कुमार ने बीएसए विजय प्रताप ¨सह को तलब कर लिया। आखिर बेसिक शिक्षाधिकारी को कार्रवाई करनी ही पड़ी। बीएसए विजय प्रताप ¨सह ने एनपीआरसी मनोज कुमार को निलंबित करने के साथ ही खंड शिक्षाधिकारी कुरावली रामशंकर कुरील से भी स्पष्टीकरण मांगा है। उन्होंने खंड शिक्षाधिकारी को मामले की जांच कर एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। पहले की जांच दबाए हैं बीईओ

जागरण ने जब स्वेटर घोटाले की परतें उधेड़नीं शुरू कीं तो आनन-फानन में बीएसए ने जांच बैठा दी और खंड शिक्षाधिकारयों से एक सप्ताह में जांच रिपोर्ट तलब की। रिपोर्ट न देने पर दोबारा रिमाइंडर भेजा गया। लेकिन 47 दिन के बाद भी किसी ने जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। सूत्रों का कहना है कि खंडशिक्षाधिकारी जांच रिपोर्ट देने से इसलिए बच रहे हैं कि वह गड़बड़ी की रिपोर्ट देंगे तो भी फंसेंगे और यदि सब कुछ सही होने की रिपोर्ट दे दी। बाद में अगर उच्चस्तरीय जांच हुई तो भी खंडशिक्षाधिकारी फंसेंगे।


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