फसल बचाने को खेत-खेत लगाई जा रही बाड़
आलू और गेहूं फसल को गोवंश और नील गायों से बचाने को जुटे किसान खेतों को कटीले तारों से किया जा रहा सुरक्षित अब सर्दी में पशु करेंगे फसल को चट
केस-एक:
घिरोर तहसील के गांव नगला भवानी के रहने वाली विजय मिश्रा बाजार से कटीले तार खरीद लाए थे। बबूल के डंडे काटने के बाद उन पर कटीले तार कसने में जुटे हैं। शुक्रवार सुबह काम में जुटे विजय ने बताया कि अब सर्दी आने को हैं, ऐसे में फसल की रक्षा के लिए वह खेतों में रात नहीं गुजार सकते, इसलिए खेतों के चारों ओर बाड़ लगाने में जुटे हैं। अब सर्दियों में सुबह-शाम खेतों की रखवाली का काम करते रहेंगे। केस-दो:
भोगांव तहसील के गांव अजीतगंज के निवासी राधेश्याम सर्दियों के मौसम में फसल की रखवाली को लेकर परेशान रहते हैं। पिछले साल बाजार से कटीले तार खरीदकर लाए और खेतों के चारों ओर लगा दिया। इससे गेहूं और आलू की फसल नष्ट नहीं होती है। वह सर्दियों में चैन से रात को सो पाते हैं। उन्होंने बताया कि तार एक बार खरीद लिए हैं, कई साल तक चलते रहेंगे। जासं, मैनपुरी: मेहनत की फसल को बचाने के लिए किसान खेतों की सुरक्षा में जुट गए हैं। जिला के अधिकांश गांवों में बेसहारा गोवंश के अलावा नीलगाय से फसल की रक्षा एक चुनौती है। इससे निपटने को कटीली बाड़ लगाई जा रही हैं।
आलू और सरसों के बाद अब गेहूं बुवाई का काम चल रहा है। सर्दी आने के साथ ही किसान खेतों के बजाय घरों में रहेंगे। ऐसे में बेसहारा गोवंश, नीलगाय मेहनत को चट सकते हैं। इस कारण किसान अब अतिरिक्त राशि खर्च कर खेतों के चारों ओर सुरक्षा बाड़ बनाने में जुटे हैं।
किसान देवलाल ने बताया कि बेसहारा गोवंश की समस्या अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है। सांड़ तो अभी भी गांव और राहों पर दिन-रात विचरण करते हैं, मौका लगते ही फसल को चट कर जाते हैं। नील गायों का झुंड तो फसल को बर्बाद कर जाता है। ऐसे में किसान खेतों की रखवाली को घर से दूर रहे या सुरक्षा के लिए बाड़ लगाने का काम करें। कुछ ऐसा ही गांव-गांव हो रहा है।