मैनपुरी का था कानपुर मुठभेड़ में मारा गया विकास दुबे का मामा
बेवर(़मैनपुरी) जागरण संवाददाता कानपुर कांड के तार मैनपुरी से भी जुड़ रहे हैं। मुठभेड़ में मारा गया प्रेम प्रकाश पांडे मैनपुरी का रहने वाला था।
बेवर(़मैनपुरी) जागरण संवाददाता : कानपुर कांड के तार मैनपुरी से भी जुड़ रहे हैं। मुठभेड़ के दौरान मारा गया विकास दुबे का कथित मामा प्रेमप्रकाश पांडे मूल रूप से मैनपुरी के गांव नगला पांडे का रहने वाला था। यहां उसका परिवार रहता है। मंगलवार से एसटीएफ ने मोस्ट वांटेड विकास दुबे की तलाश में मैनपुरी में डेरा डाला हुआ है। एसटीएफ बेवर, किशनी, कुसमरा क्षेत्र की खाक छान रही है। बेवर क्षेत्र के गांव नगला पांडे में कुछ लोगों से पूछताछ भी गई। एसटीएफ टीम में शामिल पुलिस कर्मी अपनी आमद को लेकर कोई जानकारी देने के लिए तैयार नहीं हुए।
कानपुर में विकास दुबे के गांव में हुई मुठभेड़ में उसका मामा बताया जाने वाला प्रेमप्रकाश पांडे भी मारा गया था। बुधवार को एसटीएफ बेवर के गांव नगला पांडे पहुंची तो सामने आया कि प्रेमप्रकाश पांडे मूल रूप से इसी गांव का रहने वाला था। वह कई साल पहले कानपुर चला गया था और वहां किसी घड़ी फैक्ट्री में काम करता था। कानपुर कांड के मुख्य आरोपित विकास दुबे को वह अपना मुंहबोला भांजा बताता था। गांव में इस समय प्रेमप्रकाश पांडे का भाई रामविलास पांडेय परिवार के साथ रहता है।
मंगलवार शाम बेवर क्षेत्र के गांव नगला पांडे में तीन वाहनों से कुछ लोग गांव पहुंचे। सभी के पास हथियार थे। हाव-भाव से भी पुलिस कर्मी लग रहे थे। लेकिन किसी ने पुलिस की वर्दी नहीं पहनी हुई थी। बाद में पता चला कि सभी एसटीएफ कर्मी हैं। ग्रामीणों के मुताबिक एसटीएफ ने गांव के निवासी रामविलास पांडेय के बारे में जानकारी लेने के साथ ही उनके यहां आने-जाने वालों के बारे में पता लगाया। इसके बाद रामविलास पांडे के घर जाकर भी पूछताछ की गई।
मंगलवार शाम नगला पांडे में जांच करने के बाद एसटीएफ की गाड़ियां बुधवार को भी जिले के अलग-अलग इलाकों में दौड़ती देखी गई। एसटीएफ की सक्रियता से अनुमान लगाया जा रहा है कि पुलिस को कानपुर कांड के आरोपितों के जिले में छिपे होने या यहां उनके संपर्क सूत्र होने की आशंका है। हालांकि टीम में शामिल कर्मचारी कोई जानकारी देने के लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने स्थानीय पुलिस से भी संपर्क नहीं किया है। इंस्पेक्टर बेवर जसवीर सिंह सिरोही ने बताया कि एसटीएफ के आने के बारे में उन्हें कोई सूचना नहीं मिली है। एनकाउंटर की जानकारी पर भी खामोश थे गांव के लोग
पुलिस कर्मियों की हत्या के बाद ही मुठभेड़ में प्रेमप्रकाश व उसके एक साथी की मौत हो गई थी। अगले दिन अखबार में समाचार पढ़ने के बाद ही रामविलास पांडे समझ गए थे कि मुठभेड़ में उनके भाई की मौत हो गई है। लेकिन वे इसे लेकर खामोश रहे। गांव के लोगों को भी इस बात की भनक लग चुकी थी लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए कोई भी इसे लेकर अपना मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं था। मंगलवार को जब गांव में एसटीएफ पहुंची तो मुठभेड़ में प्रेमप्रकाश के मारे जाने की खबर पूरे क्षेत्र में फैल गई।