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ट्रामा सेंटर का ख्वाब पूरा न कर सकी सियासत

बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा जिले में वर्षों से चला आ रहा है लेकिन सियासतदानों ने इस पर जमीनी स्तर पर प्रयास नहीं किए। ट्रामा सेंटर की अधूरी पड़ी बुनियाद भी लगभग आठ वर्षों से अपने तारणहार की बाट जोह रही है। लोगों की परेशानी को देखते हुए तत्कालीन सपा सरकार ने वर्ष 2014-15 में 3.4

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 05:39 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 05:39 AM (IST)
ट्रामा सेंटर का ख्वाब पूरा न कर सकी सियासत
ट्रामा सेंटर का ख्वाब पूरा न कर सकी सियासत

जासं, मैनपुरी : बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा जिले में वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन सियासतदानों ने इस पर जमीनी स्तर पर प्रयास नहीं किए। ट्रामा सेंटर की अधूरी पड़ी बुनियाद भी लगभग आठ वर्षों से अपने तारणहार की बाट जोह रही है। लोगों की परेशानी को देखते हुए तत्कालीन सपा सरकार ने वर्ष 2014-15 में 3.48 करोड़ रुपये की लागत से बेवर में गग्गरपुर नहर पुल के नजदीक तीन बीघा जमीन चिन्हित की थी। इस जमीन पर निर्माण कार्य आरंभ ही हुआ था कि स्थानीय व्यक्ति मुन्नालाल गुप्ता ने इसके कुछ हिस्से को अपने पट्टे की जमीन बताकर विरोध किया था। विवाद बढ़ने के बाद जमीन पर निर्माण कार्य रोक दिया गया। मामला अब भी न्यायालय में लंबित चल रहा है। तत्कालीन डीएम प्रदीप कुमार और एसडीएम भोगांव प्रदीप आर्या ने प्रयास तो किए थे, लेकिन सफलता न मिल सकी। उसके बाद से कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है। लगभग आठ वर्षों के बाद भी स्थितियां जस की तस ही बनी हुई हैं। यहां खाली जमीन पर नींव भरने के बाद पिलर खडे़ हुए हैं। किसी भी प्रकार का कोई निर्माण कार्य आगे बढ़ ही नहीं सका है। पूरा होता ख्वाब तो ये होता लाभ

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जिले में अभी तक कोई भी अस्पताल ऐसा नहीं है, जहां एक ही छत के नीचे सभी प्रकार के मरीजों को उपचार मिल सके। यदि ट्रामा सेंटर का निर्माण कार्य पूरा हो जाता है तो सिर्फ मैनपुरी ही नहीं बल्कि फर्रुखाबाद, एटा, कासगंज, सैफई, औरेया और आसपास के अन्य जिलों के मरीजों को बेहतर उपचार मिल सकता है। अभी ये है सबसे बड़ी समस्या

जिला अस्पताल में सबसे ज्यादा मरीज सड़क हादसों, डायबिटीज और दिल की बीमारियों से संबंधित पहुंचते हैं। यहां इलाज की आधुनिक सुविधा न होने पर ज्यादातर मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग की जानकारी के अनुसार महीने में लगभग एक हजार मरीजों को अलग-अलग बीमारियों की वजह से सैफई और आगरा के लिए रेफर किया जाता है। यदि ट्रामा सेंटर की सुविधा मिल जाए तो ऐसे मरीजों को जिले में ही बेहतर उपचार की सुविधा मिल सकती है। क्या कहते हैं लोग ट्रामा सेंटर के निर्माण को लेकर जनप्रतिनिधियों को विशेष प्रयास करने चाहिए। यदि यह सुविधा मिलती है तो इसका सीधा लाभ जिले के मरीजों को मिलेगा। अभी यहां से सैकड़ों मरीजों को सैफई, आगरा और अन्य प्राइवेट अस्पतालों में महंगा उपचार के साथ अन्य प्रकार की परेशानियों से जूझना पड़ता है। यह सुविधा बेहद जरूरी है।

बीनू बंसल, समाजसेवी। स्वास्थ्य सेवाओं की जिले में सबसे ज्यादा कमी है। जिला अस्पताल और 100 शैया में विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। यदि ट्रामा सेंटर बन जाता है तो लोगों को गैर जिलों की दौड़ नहीं लगानी होगी। सुविधाओं के साथ उन्हें बेहतर उपचार यहीं मिल जाएगा। स्थानीय लोगों को भी इस मुद्दे के पूरी दमदारी के साथ उठाना चाहिए।

राजीश यादव, एड. बेवर में यदि ट्रामा सेंटर का निर्माण पूरा हो जाता है तो सिर्फ मैनपुरी ही नहीं, नजदीकी फर्रूखाबाद, एटा, अलीगंज और कासगंज के मरीज भी यहां पहुंच सकेंगे। जिला अस्पताल में सुविधा न होने की वजह से इन जिलों के कई मरीजों को मजबूरी में सैफई तक जाना पड़ता है। नेताओं को इस मुद्दे को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करना चाहिए।

राबिन तिवारी, युवा समाजेसवी। इस अधूरे निर्माण के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को भी पहल करनी चाहिए। इसका लाभ तो सभी को मिलना है। यदि सामूहिक प्रयासों से स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कुछ बेहतर होता है तो सभी को प्रयास करने चाहिए। जनप्रतिनिधियों से भी मांग है कि वे इस जरूरी मुद्दे को गंभीरता से लें और निर्माण के लिए प्रयास कराएं।

संजय दुबे, एड.।


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