जहरीली सांसें बीमार कर रहीं जिंदगी
बढ़ते प्रदूषण से बीमारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 40 फीसद से अधिक सांस के रोगियों में इजाफा हो रहा है। ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
केस एक :
एलाऊ थाना क्षेत्र के गांव ¨सहपुर निवासी रामबेटी (70) पत्नी स्व. दर्शन ¨सह को सांस लेने में दिक्कत होने के बाद गंभीर हालत में 11 नवंबर को इमरजेंसी लाया गया। वहां से सैफई रेफर कर दिया।
केस दो :
दन्नाहार थाना क्षेत्र के गांव नौनेर निवासी रामलाल (80) को भी हाइ ब्लड प्रेशर, मधुमेह और सीओपीडी के चलते नौ नवंबर को इमरजेंसी पहुंचाया गया। बाद मे नाजुक हालत देख रेफर कर दिया।
जासं, मैनपुरी : ये तो दो उदाहरण मात्र हैं। रोजाना कई मरीजों को सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के चलते गंभीर हालत में इमरजेंसी लाया जा रहा है। जिला अस्पताल के चिकित्सक डॉ. पीके दुबे का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में धूल और प्रदूषण का स्तर बढ़ने के चलते इससे पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
50 से अधिक उम्र में ज्यादा खतरा
डॉ. पीके दुबे का कहना है कि 50 वर्ष से अधिक उम्र में इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। अक्सर, उम्र बढ़ने के साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है।
सर्दियों में बढ़ जाता है खतरा
सर्दियों के मौसम में सीओपीडी के मामले बढ़ जाते हैं। इस मौसम में स्मॉग के साथ धूल के कण भी होते हैं। जो सांस के साथ सीधे फेफड़ों में जाते हैं। मधुमेह और उच्च रक्त चाप वाले मरीज इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं।
सर्दियों में मॉर्निंग वॉक से बचें
श्वांस रोगी और एलर्जी के मरीजों के लिए सर्दियों में सुबह की सैर खतरनाक हो सकती है। सुबह धुंध और कोहरे का स्तर अधिक होता है। ऐसे में हानिकारक कण फेफड़ों में पहुंचकर मरीज को नुकसान पहुंचा सकते हैं।