बेटे की शहादत पर मां को गर्व, बोलीं, देश के काम आया लाल
बेटे की सहादत पर बूढ़ी मां अमृतश्री की आंखों के आंसू बहते-बहते सूखने लगे हैं। घर के बाहर बैठी भीड़ को देखकर अमृतश्री कहती हैं कि देखो आज ये भीड़ मेरे बेटे की सहादत को लेकर मेरे घर के बाहर जुटी हुई है। बेटा यही कहता था कि मां तेरा नाम रोशन कर दूंगा, फिर कुछ देर तक शांत रहने के बाद कहतीं हैं कि बेटा तूने दुनिया भर में मेरा नाम रोशन कर दिया।
मैनपुरी (जागरण संवाददाता) । कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद हुए मैनपुरी के गांव विनायकपुर के सीआरपीएफ जवान रामवकील की बूढ़ी मां की आंखों के आंसू बहते-बहते सूखने लगे हैं। घर के बाहर बैठी भीड़ को देखकर अमृतश्री कहती हैं कि देखो आज ये भीड़ मेरे बेटे की शहादत को लेकर मेरे घर के बाहर जुटी हुई है। बेटा यही कहता था कि मां तेरा नाम रोशन कर दूंगा, फिर कुछ देर तक शांत रहने के बाद कहतीं हैं कि बेटा तूने दुनिया भर में मेरा नाम रोशन कर दिया, लेकिन मेरा सबकुछ चला गया। साथ में इस बात पर गर्व भी जताया कि उनका बेटा भारत मां के काम आया।
अधूरा रह गया घर बनाने का सपना :
रामवकील का जन्म गरीब परिवार में हुआ था। पिता को डेढ़ बीघा जमीन का पट्टा मिला था, जिस पर खेती करने के साथ ही वे लोगों के कपड़े धोकर अपने बच्चों का भरण-पोषण करते थे। गांव में छोटा सा कच्चा मकान था। नौकरी लगने के बाद रामवकील ने मकान के आगे एक पक्का कमरा, बरामदा बना लिया था, जिसमें परिवार का गुजारा कर रहा था। गीता ने बताया कि उनके पति एक साथ अपने व अपने भाई के लिए दो मकान बनाना चाहते थे, इसके लिए वेतन से ऋण भी मंजूर करा लिया था। अप्रैल में मकान बनाने की तैयारी थी। बच्चों को भी अपना घर देने का वायदा किया था। रामवकील की सहादत के बाद जहां गीता को उनकी बातें याद आतीं हैं। वहीं दोनों बेटे भी मकान बनाने की बात याद कर रोने लगते हैं।
दोस्तों के दोस्त थे रामवकील :
रामवकील के तमाम दोस्त गांव में रहकर खेतीबाड़ी करते हैं। उनकी सहादत पर दोस्त भी गमजदा हैं। उन्होंने बताया कि बचपन से ही रामवकील काफी मिलनसार व दोस्तों के बीच लोकप्रिय थे। नौकरी से पहले गांव में रहते थे तो दोस्तों की मदद के लिए तत्पर रहते थे, जिस दोस्त की भी फसल बिगडऩे लगती थी वह रामवकील से ही मदद लेता था।
छह घंटे असमंजस में रहा परिवार :
शाम चार बजे रामवकील की पत्नी गीता ने टीवी पर सीआरपीएफ के काफिले पर हमले की खबर देखी तो परेशान हो गई। उन्होंने रामवकील के मोबाइल पर फोन लगाया तो मोबाइल बंद मिला। काफी देर तक फोन लगाती रहीं। मन में डरावने ख्याल आने लगे। उन्होंने अपने परिजनों को टीवी के समाचार के बारे में जानकारी दी। रात 11 बजे गीता के भाई ने बटालियन के अधिकारियों से फोन पर संपर्क किया तो उनके शहीद होने की जानकारी मिली।
सिर्फ रायफल दे दो, मिटा दूंगा आतंकवाद : भाई की शहादत से दुखी रामनरेश की आंखों में आंसूओं के साथ गुस्सा था। बार-बार एक ही बात कह रहे थे कि सरकार इन आतंकवादियों का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। बस मुझे एक रायफल दे दो तो मैं इन आतंकवादियों को मिटा दूंगा, ताकि किसी और को अपना भाई ना गंवाना पड़े।
पहले फुटबालर, फिर बनूंगा सैनिक :
शहीद के पुत्र अंकित को पापा की बहुत याद आ रही है। अंकित बोला, पापा फुटबालर बनाना चाहते थे। वह मन लगाकर फुटबालर खेलता था। पापा उसे टेस्ट के लिए आगरा ले गए थे। उन्हीं की आंखों के सामने परीक्षा देकर ट्रे¨नग के लिए अंडर 12 में चयनित हो गया हूं। पापा की इच्छा पूरा करने के लिए पहले बड़ा फुटबालर बनूंगा, फिर सेना में जाकर आतंकवादियों व पाकिस्तान का सफाया करूंगा।