एक फीसद मंडी शुल्क घटाने से संतुष्ट नहीं व्यापारी
मैनपुरी जासं प्रदेश सरकार की तरफ से घटाए गए एक फीसद मंडी शुल्क से व्यापारी संतुष्ट नहीं हैं।
मैनपुरी, जासं: प्रदेश सरकार की तरफ से घटाए गए एक फीसद मंडी शुल्क से व्यापारी संतुष्ट नहीं हैं। मंडी के व्यापारियों का कहना है कि इस निर्णय से साबित हो रहा है कि सरकार किसान और व्यापारियों के हित में नहीं सोच रही है। व्यापारियों के मुताबिक, मंडी शुल्क घटाकर आधा प्रतिशत करना चाहिए।
केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए नए अध्यादेश के बाद अब मंडी से बाहर व्यापार करने पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगेगा। इसके विरोध में मैनपुरी समेत प्रदेशभर में गल्ला व्यापार मंडल के व्यापारियों ने प्रदर्शन किया था। अब प्रदेश सरकार की तरफ से मंडी शुल्क एक प्रतिशत तक घटा दिया गया है। हालांकि, इससे भी व्यापारी नाखुश हैं। गल्ला व्यापारियों ने मांग की कि मंडी के बाहर व्यापार करने पर कोई शुल्क नहीं है और मंडी के अंतर्गत पंजीकृत व्यापारियों से ढाई की जगह डेढ़ फीसद करने से भी कोई फायदा नहीं है। जबकि, सीमावर्ती राज्य बिहार, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित सभी मंडियों में मंडी शुल्क आधा प्रतिशत है। प्रदेश सरकार को भी मंडी शुल्क आधा प्रतिशत कर देना चाहिए। व्यापारियों की बात
मंडी शुल्क अगर आधा प्रतिशत कर दिया गया तो किसान बाहर लोडिग न करके मंडी में करेगा। इससे प्रदेश सरकार को राजस्व का फायदा होगा। व्यापारी और किसान भी संतुष्ट हो जाएंगे।
- लक्ष्मीनारायन। जब बिहार, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित सभी मंडियों में मंडी शुल्क आधा प्रतिशत कर दिया गया है तो यूपी ने क्यों नहीं किया? एक फीसदी शुल्क घटना अन्यायपूर्ण है।
- बीनू बसंल। मंडी शुल्क में एक फीसद की और कटौती होनी चाहिए। मंडी में डेढ़ फीसदी शुल्क और बाहर व्यापार करने पर पूरी तरह की छूट ठीक नहीं है।
- राजेंद्र प्रसाद।
मंडी में कारोबार पर एक फीसद शुल्क ज्यादा है, यह कम होना चाहिए। मंडी में किसान के पास माल बेचने को सैंकड़ों दुकानदार हैं, जबकि बाहर तो गिने-चुने।
- रामवीर सिंह।