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क्षय रोग के कारण चार साल मायके में रही विवाहिता

मैनपुरी, बेवर: अग्नि को साक्षी मानकर सुख-दुख में सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें पत्‍‌नी

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Mar 2018 10:58 PM (IST)Updated: Tue, 27 Mar 2018 10:58 PM (IST)
क्षय रोग के कारण चार साल मायके में रही विवाहिता
क्षय रोग के कारण चार साल मायके में रही विवाहिता

मैनपुरी, बेवर: अग्नि को साक्षी मानकर सुख-दुख में सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें पत्‍‌नी के टीबी रोग से ग्रसित होते ही भुला दीं। इलाज कराने के बजाए संक्रमण से बीमारी फैलने की आशंका भांप ससुरालीजनों ने उसे इतना प्रताड़ित किया कि विवाहिता को मायके में शरण लेनी पड़ी। यहां पर उपचार के बाद निरोग होने पर भी ससुरालीजनों ने अपनाने से इन्कार कर दिया। बाद में पुलिस की मदद से विवाहिता ससुराल में पहुंच पाई।

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कन्नौज के कस्बा छिबरामऊ निवासी रामदास ने अपनी बेटी प्रीती का विवाह पांच साल पहले बेवर के गांव नगला टांकन निवासी सोनेलाल के साथ किया था। विवाह के एक साल बाद ही प्रीती क्षय रोग की चपेट में आ गई। ससुरालियों ने उपचार कराने के बजाय रोग फैलने के डर से उससे दूरी बनाना शुरू कर दिया। घर से जाने को कहा गया। मजबूर होकर प्रीती अपने मायके चली आई। ससुरालियों द्वारा इलाज न कराने से उसकी हालत काफी गंभीर हो चुकी थी। मायके वालों ने उपचार शुरू कराया तो प्रीती का क्षय रोग ठीक हो गया।

बीमारी ठीक होने के बाद प्रीती ने ससुराल आने की मंशा जताई। ससुरालियों ने उसे क्षय रोग होने की बात कहते हुए रखने के लिए तैयार नहीं थे। उनको डर था कि प्रीती को घर में रखने से परिवार के अन्य लोग भी क्षय की रोग की चपेट में आ जाएंगे। प्रीती ने काफी प्रयास किया, लेकिन ससुराली उसे बुलाने के लिए तैयार नही हुए तो उसने पुलिस की शरण ली।

मंगलवार को प्रीती अपने पिता के साथ थाना बेवर पहुंची। उसने पुलिस कर्मियों को पूरी दास्तान सुनाई। पुलिसकर्मी उसे लेकर उसकी ससुराल पहुंचे। ससुरालियों को समझाया कि क्षय रोग ठीक होने के बाद किसी भी परिजन के संक्रमित होने की संभावना नहीं है। पहले तो ससुराली जन आनाकानी करते रहे। बाद में प्रीती को अपने घर में रखने के लिए राजी हो गए। ससुरालियों द्वारा स्वीकार किए जाने के प्रीती ने राहत की सांस ली है। 'टीबी की बीमारी ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के जरिए फैलती है। यह जीवाणु हवा में सक्रिय रहता है। मरीज के थूक और बलगम के जरिए जीवाणु दूसरे स्वस्थ व्यक्तियों के शरीर में हवा के माध्यम से प्रवेश करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। उन्हें हर वक्त अपने मुह पर कपड़ा बांधकर रखना चाहिए तथा उनके द्वारा प्रयोग किए जाने वाले कपडे़ और बर्तनों आदि को भी अच्छी तरह से साफ करना चाहिए।'

डॉ. सीएम यादव

जिला क्षय रोग अधिकारी, मैनपुरी।


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