Move to Jagran APP

मां ने बना दिया बेटे को काबिल

मैनपुरी: शहर के तपस्थली पब्लिक स्कूल के छात्र अभिनय यादव ने हाईस्कूल में 91.33 फीसद अंकों

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Apr 2018 11:13 PM (IST)Updated: Sun, 29 Apr 2018 11:13 PM (IST)
मां ने बना दिया बेटे को काबिल
मां ने बना दिया बेटे को काबिल

मैनपुरी: शहर के तपस्थली पब्लिक स्कूल के छात्र अभिनय यादव ने हाईस्कूल में 91.33 फीसद अंकों के साथ जिले में टॉप किया है। गांव खटीकपुर निवासी अभिनय के पिता आशीष की मृत्यु चार साल पहले हो गई थी। आशीष एक ड्राइवर थे। पिता की मौत के बाद परिवार के पास कमाई का कोई जरिया नहीं था। फिर भी मां सुमन देवी ने बच्चों की पढ़ाई बंद नहीं की। किसी तरह खेती करवाकर उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाया। जिसका नतीजा आज सबके सामने है। अभिनय आगे चलकर सेना में अधिकारी बनना चाहता है। अभिनय का छोटा भाई देवांश कक्षा दो में पढ़ रहा है तो वहीं बड़ी बहन चंचल कक्षा 12 और शिवानी कक्षा सात की छात्रा है। अभिनय अपनी इस सफलता का श्रेय अपनी मां को देता है। सुमन देवी बताती हैं कि वे अपने बच्चों को इस काबिल बनाना चाहत हैं कि उन्हें कभी कोई परेशानी न हो।

loksabha election banner

डॉक्टर बनना चाहती है शीतल

गांव जासमई निवासी शीतल चौहान ने हाईस्कूल में 91 फीसद अंकों के साथ जिले में दूसरा स्थान प्राप्त किया। शीतल की इस उपलब्धि ने पिता का सिर सम्मान से ऊंचा कर दिया है। पेशे से किसान शीतल के पिता अजय ¨सह बताते हैं कि बेटियां किसी से कम नहीं होती हैं। यही सोचकर उन्होंने अपनी बेटियों को पढ़ाया। आज शीतल ने जिले में दूसरा स्थान प्राप्त कर इसे साबित भी कर दिया। वहीं शीतल डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहती है। वह बताती है कि आगे भी वह पूरी मेहनत के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करेगी। इस दौरान चाचा अनिल चौहान व एमजेएस इंटर कॉलेज जासमई के प्रधानाचार्य ने शीतल को बधाई दी।

इंजीनयर बनना है आदर्श का सपना

एटा के गांव दासपुर निवासी आदर्श शाक्य ने हाईस्कूल में 90.83 फीसद अंकों के साथ जिले में तीसरा स्थान प्राप्त किया। शहर के तपस्थ्ली पब्लिक स्कूल के छात्र आदर्श के पिता सुशील कुमार पेशे से एक शिक्षक हैं, वहीं माता राधा शाक्या गृहिणी हैं। आदर्श आगे चलकर एक इंजीनियर बनना चाहता है। आदर्श के पिता बतात हैं कि उसे बचपन से ही मशीनरी आदि का शौक है। बचपन में जब वे उसे कोई खिलौना लाकर देते थे तो वह उससे खेलता नहीं थी बल्कि उसे खोलकर ये देखता था कि ये चलता कैसे है। वहीं आदर्श अपनी इस सफलता का श्रेय विद्यालय के प्रधानाचार्य वीके शर्मा व अपने पिता को देता है। वह बताता है दोनों ही लोगों ने उसकी पढ़ने में काफी मदद की है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.