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वीवीआइपी मैनपुरी सीट पर जीते कोई, बनेगा इतिहास

मैनपुरी दिलीप शर्मा। लोकतंत्र के इतिहास में सबसे अहम माने जा रहे लोकसभा चुनाव में दिल्ली का ताज किसके सिर होगा यह जनादेश गुरुवार को मतगणना के साथ ही सामने आ जाएगा। पूरे देश में एक-एक सीट का परिणाम तो अहम हैं ही परंतु मैनपुरी लोकसभा सीट को सूबे वीवीआइपी सीटों में शुमार किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 May 2019 11:28 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2019 06:21 AM (IST)
वीवीआइपी मैनपुरी सीट पर जीते कोई, बनेगा इतिहास
वीवीआइपी मैनपुरी सीट पर जीते कोई, बनेगा इतिहास

दिलीप शर्मा, मैनपुरी: लोकतंत्र के इतिहास में सबसे अहम माने जा रहे लोकसभा चुनाव में दिल्ली का ताज किसके सिर होगा, यह जनादेश गुरुवार को मतगणना के साथ सामने आ जाएगा। पूरे देश में एक-एक सीट का परिणाम तो अहम है ही परंतु मैनपुरी लोकसभा सीट को सूबे की वीवीआइपी सीटों में शुमार किया गया है। सपा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर वर्ष 1996 से साइकिल के उम्मीदवार ही जीतते रहे हैं। जबकि भाजपा अब तक एक बार भी जीत का स्वाद नहीं चख सकी है। देशभर में फिर से मोदी लहर की आहट, एक्जिट पोल में दिख रखी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बयार और ईवीएम पर उठे सवालों के चलते राजनेताओं से लेकर जनता तक की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। हालांकि मैनपुरी सीट का अंकगणित ऐसा है कि चाहे गठबंधन प्रत्याशी जीते या फिर भाजपा। बनेगा इतिहास ही।

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चुनाव आयोग ने बीते 10 मार्च को 17वें लोकसभा चुनावों की अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद बीती 23 अप्रैल को तीसरे चरण में मैनपुरी लोकसभा सीट पर मतदान हुआ। सपा-बसपा-रालोद गठबंधन से यहां सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव प्रत्याशी हैं। मुलायम सिंह यादव इस सीट पर पूर्व में चार बार सांसद रह चुके हैं और 1996 से अब तक हुए आठ चुनावों में सपा ही जीतती रही है। ऐसे में यदि मुलायम सिंह यादव को फिर जीत हासिल होती है तो यह उनकी पांचवी और सपा की लगातार नौवीं लोकसभा जीत होगी, जो कि एक इतिहास होगा।

दूसरी तरफ भाजपा ने प्रेम सिंह शाक्य पर दांव लगाया है। प्रेम सिंह शाक्य वर्ष 2014 के लोकसभा उपचुनाव में मुलायम के पौत्र तेजप्रताप यादव के सामने भी भाजपा से प्रत्याशी थे, परंतु जीत हासिल नहीं कर सके थे। भाजपा की बात करें तो भाजपा कभी ये सीट नहीं जीत सकी है। ऐसे में यदि भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में परिणाम जाता है तो यह भी एक इतिहास बनाएगा। हालांकि इस बार अंदरखाने दोनों ओर के नेताओं में बेचैनी है। हालांकि गठबंधन खेमा रिकार्ड जीत के दावे करता रहा है, परंतु फिर भी उनकी निगाहें मतगणना परिणाम पर टिकी हैं। इस बार सपा को सबसे अधिक बढ़त दिलाने वाले करहल और जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में करीब आठ फीसद तक कम वोट पड़े थे। वहीं भाजपा को मोदी लहर के सहारे जातिगत समीकरण टूटने की उम्मीद है। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प होने के कयास लगाए जा रहे हैं। मुलायम का है आखिरी चुनाव:

इस सीट पर परिणाम इसलिए भी ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि यह मुलायम सिंह यादव का आखिरी चुनाव है। खुद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इसकी घोषणा कर चुके हैं। ऐसे में सभी की निगाहें मुलायम के आखिरी चुनाव के परिणाम पर टिकी हैं। सपा-बसपा ने ऐसे झोंकी थी ताकत:

मुलायम सिंह यादव ने इस बार प्रत्याशी के तौर पर प्रचार में कोई ताकत नहीं झोंकी। वह नामांकन के लिए आए थे और उसके बाद गठबंधन की संयुक्त रैली में शामिल हुए थे। प्रचार की कमान सांसद तेजप्रताप यादव, पार्टी के स्थानीय विधायकों और नेताओं के हाथ में रही। भाजपा ने ऐसे दिखाया था दम:

भाजपा प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य को इस बार चुनाव प्रचार के लिए बहुत कम वक्त मिला था। नामांकन की अंतिम तिथि से एक दिन पहले उनकी टिकट घोषित हुई थी। इसके बाद प्रचार में ताकत झोंकी गई। बीती 14 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रैली कर पार्टी प्रत्याशी के लिए समर्थन मांगा था। डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने भी यहां जनसभा कर वोट मांगे थे। घरों से दफ्तरों तक चर्चाओं के दौर:

एक्जिट पोल आने के बाद से चुनावी परिणामों को लेकर चर्चाओं का सिलसिला छिड़ा हुआ है। मतगणना नजदीक आते ही यह और तेज हो गया है। घरों, बाजारों, दफ्तरों आदि हर जगह लोग अपने-अपने हिसाब से तर्क-वितर्क में मशगूल हैं।


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