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समान से रूठे प्रवासी मेहमान, हर साल घट रही संख्या

जागरण विशेष बीते साल 4800 पक्षी आए थे इस साल 803 की ही आमद हुई। 44 के मुकाबले के केवल 40 प्रजातियों के परिदे ही आए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 06:03 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 06:03 AM (IST)
समान से रूठे प्रवासी मेहमान, हर साल घट रही संख्या
समान से रूठे प्रवासी मेहमान, हर साल घट रही संख्या

विक्रम चौहान, किशनी (मैनपुरी): समान पक्षी विहार से प्रवासी परिदों के रूठने का सिलसिला थम नहीं रहा है। इस साल परिदों की आमद में बड़ी गिरावट आई है। इस वर्ष केवल 803 ही विदेशी पक्षी आए हैं, जबकि बीते साल यह संख्या 4800 थी। चार प्रजातियों के पक्षी तो आए ही नहीं हैं। एशियन वाटर व‌र्ल्ड सेंसस के लिए हुई गणना में यह हकीकत सामने आई है।

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मैनपुरी के विकास खंड किशनी में समान पक्षी विहार जिले का सबसे विशाल वेटलैंड है, जो 5.25 वर्ग किमी में फैला हुआ है। रामसर साइट भी घोषित किया जा चुका है। सर्दियों में यहां हजारों की संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में आने वाले ये देसी-विदेशी पक्षी फरवरी तक यहां रुकते हैं। परंतु, बीते तीन साल से प्रवासी पक्षियों की आमद घटने लगी है। एशियन वाटर व‌र्ल्ड सेंसस के लिए हर साल देश भर के वेटलैंड में परिदों की गणना की जाती है।

वेटलैंड इंटरनेशनल के को-आर्डिनेटर टीके राय द्वारा पिछले दिनों समान पक्षी विहार में ये गणना की गई थी। इसके निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं। गणना के मुताबिक बीते साल समान पक्षी विहार में 44 प्रजातियों के 4800 पक्षी आए थे। इस बार 40 प्रजातियों के केवल 803 पक्षियों की ही आमद हुई है। इनमें बुली नेक्ड स्टॉर्क, सारस क्रेन, ब्लैकहेड इवीस आदि प्रजातियां शामिल हैं। विलुप्त श्रेणी के पक्षियों ने मोड़ा मुंह:

बीते वर्ष विलुप्त श्रेणी की सात प्रजातियों के पक्षियों ने समान पक्षी विहार में अपना ठिकाना बनाया था। इस बार ओरिएंटल डार्टर, पेंटेड स्टॉर्क, फेरुगिनस डक सहित छह प्रजातियां ही आई हैं। दक्षिण भारत, श्रीलंका और साइबेरिया के ग्रेटव्हाइट, पेलिकन, माईग्रेटरी डक व ब्लैक नेक स्टार्क प्रजाति का इस बार एक भी पक्षी नहीं आया है। परिदों की बेरुखी के ये हैं कारण:

टीके राय ने पक्षियों की कम संख्या पर चिता जताते हुए कई सुधारों की जरूरत बताई है। पक्षी विहार की सैकड़ों बीघा जमीन में झील का पानी ही नहीं पहुंचता है। इसके चलते उस जगह पर पक्षियों का आवागमन न के बराबर होता है। टीके राय की रिपोर्ट के मुताबिक परिदों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं है। झील की बाउंड्री न होने से आसपास के ग्रामीणों का हस्तक्षेप रहता है। इससे पक्षियों के अनुरूप यहां माहौल नहीं बन पाता है। यही नहीं, पक्षी विहार की बहुत बड़े जमीन के हिस्से पर ग्रामीणों द्वारा अवैध तरीके से खेती भी की जाती है। इससे पक्षियों के अनुकूल वातावरण में लगातार कमी आती जा रही है और उनकी संख्या घट रही है। यह दिए हैं सुझाव:

गणना के बाद कई सुधारों का सुझाव दिया गया है। कहा गया है कि पक्षी विहार को उत्कृष्ट बनाने के लिए यहां पर इसकी बाउंड्री वाल का निर्माण अत्यावश्यक है। संपूर्ण झील में पर्याप्त पानी की उपलब्धता हो और शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। सारस की प्रजाति को किया जाए संरक्षित:

टीके राय ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सारस प्रजाति का सर्वाधिक पक्षी समान में ही पाया जाता है। बीते कुछ वर्षों में इनकी संख्या में भी लगातार गिरावट आ रही है। इसका कारण इनके अंडों का नष्ट हो जाना है। वन्य जीव विभाग को अंडों की सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था बनानी चाहिए। बीते साल ही बना था रामसर साइट:

केंद्र सरकार ने बीते साल जनवरी में समान पक्षी विहार को रामसर साइट का दर्जा दिया था। माना जा रहा था कि इसके बाद समान पक्षी विहार में वेटलैंड संरक्षण के लिए केंद्र स्तर से बनने वाली सभी योजनाओं का सीधे लाभ मिल सकेगा। परंतु कोरोना संक्रमण के दौर में कोई कदम आगे नहीं बढ़ सका। यह है रामसर साइट

दो फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में वेटलैंड्स (आ‌र्द्रभूमि) को लेकर सम्मेलन हुआ था। यहां दुनिया भर की आद्रभूमि को सुरक्षित-संरक्षित करने के लिए रूपरेखा तैयार कर संधि की गई। रामसर सम्मेलन को किसी विशेष पारिस्थितिकी तंत्र से संबंधित अकेली वैश्विक वातावरण संधि माना जाता है। इसमें दुनिया के 170 से ज्यादा देश भागीदार हैं। 2100 से ज्यादा वेटलैंड इसकी सूची में हैं। इसकी सूची में शामिल वेटलैंड्स को ही रामसर साइट्स कहा जाता है।


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