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बदहाल मंडी को बजट की आस

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: आगरा रोड स्थित नवीन गल्ला मंडी को सूबे की सबसे बड़ी धान मंडी का तमगा हासिल

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Apr 2018 12:00 AM (IST)Updated: Mon, 16 Apr 2018 12:00 AM (IST)
बदहाल मंडी को बजट की आस
बदहाल मंडी को बजट की आस

जागरण संवाददाता, मैनपुरी: आगरा रोड स्थित नवीन गल्ला मंडी को सूबे की सबसे बड़ी धान मंडी का तमगा हासिल है। आसपास के दूसरों कई जिलों से यहां काश्तकार धान बेचने के लिए आते हैं। बावजूद इसके सूबे की सबसे बड़ी धान मंडी का हाल देखिए। जर्जर सड़कें राह रोकती हैं, तो नीलामी चबूतरों से लेकर फल मंडी तक गंदगी का साम्राज्य पसरा हुआ है। जल निकासी के इंतजाम न होने के कारण चारों ओर जलभराव के हालात बने हैं। बदहाली से परेशान आढ़तियों ने बार-बार गुहार तो लगाई, लेकिन बजट के अभाव में व्यवस्थाएं दम तोड़ती रहीं।

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शहर के आगरा रोड पर स्थित है नवीन गल्ला मंडी। यहां हर रोज सैकड़ों काश्तकार अपना अनाज बेचने के लिए आते हैं। चार सैकड़ा से ज्यादा आढ़तिया भी यहां अपनी आढ़तों का संचालन करते हैं। लेकिन, बदइंतजामी की वजह से हर किसी को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ता है। गेट नंबर एक से प्रवेश करते ही जर्जर मुख्य सड़क लोगों का रास्ता रोक लेती है। मुख्य सड़क के दोनों ओर नालियां तो बनी हैं लेकिन इन नालियों से गंदे पानी के निकास के इंतजाम नहीं हैं।

थोड़ा और आगे बढ़ने पर फल मंडी की ओर तो सफाई व्यवस्था ही धड़ाम रहती है। यहां सफाई कर्मियों द्वारा झाडू भी नहीं लगाया जाता है। स्थिति यह है कि दिन भर गंदगी के बीच आवारा जानवर और गोवंशीय विचरण करते रहते हैं। जल निकासी के प्रबंध न होने की वजह से लोगों को जलभराव का सामना करना पड़ता है। व्यापारियों का आरोप है कि बजट के अभाव में व्यवस्था नहीं हो पा रही है।

कहीं हैंडपंपों पर सबमर्सिबल तो कहीं सूखी पड़ी धारनवीन मंडी परिसर में लोगों की प्यास बुझाने के लिए दर्जन भर से ज्यादा हैंडपंप लगे हैं। लेकिन, इनमें से कुछ में दबंग व्यापारियों ने अपनी सबमर्सिबल पंप डालकर कब्जा कर रखा है तो बहुत से हैंडपंपों की धार की सूख चुकी है। हालांकि मंडी प्रशासन ने प्यास बुझाने के लिए वाटर कूलर रखवाए हैं, लेकिन उनमें से सभी काम नहीं कर रहे हैं। स्थिति यह है कि लोगों को पीने का पानी लाने के लिए दूर लगे हैंडपंपों पर जाना पड़ता है।

टॉयलेट जर्जर, हवा में लटके बिजली के खंभे

स्वच्छ भारत अभियान भी मंडी में दम तोड़ रहा है। यहां बनवाए गए टॉयलेट टूट चुके हैं। सार्वजनिक शौचालय की स्थिति भी बदतर है। मूत्रालयों के अभाव में लोगों को खुले में ही जाना पड़ता है। नालियों में जलनिकासी के इंतजाम न होने के कारण मच्छरों की संख्या भी बढ़ रही है। कई महीनों से टूटा पड़ा बिजली का खंभा हवा में लटक रहा है। तारों में करंट भी दौड़ रहा है। लेकिन, आज तक न तो मंडी प्रशासन ने गंभीरता दिखाई और न ही बिजली विभाग द्वारा संज्ञान लिया गया। बोले व्यापारी

मंडी में अव्यवस्थाएं तो बहुत हैं। सबसे बड़ी समस्या गंदगी की ह । यहां जल निकासी के इंतजाम बेहतर नहीं हैं। जिसकी वजह से नालियों में गंदा पानी सड़ने से उठने वाली दुर्गंध बैठना भी मुश्किल करती है।

रामदास। सार्वजनिक मूत्रालयों का निर्माण कराया जाए तो गंदगी से बहुत हद तक निजात पाई जा सकती है। जिस स्थान पर पेयजल के प्रबंध हैं, वहीं गंदगी बिखरी पड़ी रहती है। ऐसे में बीमारियों का अंदेशा बढ़ रहा है।

सतीश राजपूत।

खराब पडे़ हैंडपंपों की यदि मरम्मत कराई जाए तो मंडी में पेयजल की किल्लत बहुत हद तक दूर हो सकती है। कई हैंडपंपों पर सबमर्सिबल पंप डाली गई है। इससे भी समस्या बढ़ रही है।

प्रेमविलास।

'मंडी में छांव की व्यवस्था भी बदहाल है। दीवार टूटी पड़ी है। कई बार चोरियां भी हो चुकी हैं। प्रशासन को इन खामियों को दूर कराने के लिए प्रयास करने चाहिए।

सर्वेश शाक्य।

शासन द्वारा थोड़ा बजट उपलब्ध कराया गया है। जिसकी मदद से सबसे पहले जल निकासी के प्रबंध कराए जा रहे हैं। मंडी में सचिव कार्यालय से लेकर मुख्य सड़क तक सबसे ज्यादा जलभराव होता है। लिहाजा, यहां गहरा नाला खुदवाकर पानी निकलने की व्यवस्था कराई जा रही है। वाटर कूलर जो खराब हैं, उनकी भी मरम्मत कराई जा रही है। बहुत से कूलर काम कर रहे हैं। सिर्फ प्रवेश द्वार के पास लगा वाटर कूलर खराब है। जिसके लिए कारीगर से कहा गया है।

गौरव कुमार, मंडी सचिव।


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