कंकड़ों से ज्यादा व्यवस्था की चुभन
ये 63वें जनपदीय युवा क्रीड़ा समारोह की हैरान करने वाली हकीकत है। खिलाड़ी अपना दम झोंक जिले की झोली में सम्मान लाने को बेताब हैं। लेकिन, शिक्षा विभाग का हाल देखिए। न तो यूनीफॉर्म दी गई हैं और न ही जूते और किटें। चुभते कंकड़ों पर नंगे पैर दौड़ते खिलाड़ियों की टोलियां व्यवस्था पर ही कटाक्ष करती रहीं।
जासं, मैनपुरी : जनपदीय युवा क्रीड़ा समारोह में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को कंकड़ों से ज्यादा व्यवस्था की चुभन महसूस हुई। कारण, प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों को किट तो दूर जूते तक नहीं दिए गए। नंगे पैर ही खिलाड़ियों को प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
आगरा रोड स्थित राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में माध्यमिक स्कूलों की जनपदीय क्रीड़ा प्रतियोगिताएं हो रही हैं। इसमें शामिल किसी भी विद्यालय ने खिलाड़ियों को किटें उपलब्ध नहीं कराई हैं। अधिकांश छात्र और छात्राएं आम कपडे़ पहनकर ही खेल रहे हैं। कंकड़ों भरे ट्रेक पर खिलाड़ियों को नंगे पैर दौड़ना पड़ रहा है। हर बच्चे से लेते हैं क्रीड़ा शुल्क
माध्यमिक स्कूलों में पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे से प्रवेश के समय 60 रुपये बतौर क्रीड़ा शुल्क लिए जाते हैं। यह शुल्क विद्यालय विकास निधि में जमा होता है। इससे खिलाड़ियों के लिए जूते, यूनीफॉर्म और किटों की व्यवस्था करनी होती है। अधिकारियों को खुश करने में होता खर्च
नाम न छापने की शर्त पर खेलकूद आयोजन समिति के एक पदाधिकारी ने बताया कि जो भी धनराशि क्रीड़ा शुल्क से जमा होती है, उसका एक बड़ा हिस्सा प्रतियोगिताओं के आयोजन और आने वाले अधिकारियों की आवभगत में खर्च होता है। इतना पैसा बचता ही नहीं कि किट या जूते खरीदे जा सकें।