तहसील कर्मियों की शह पर कब्जाया था भूमाफिया ने खेड़ा
एडीएम की जांच में आरोपित मिले तहसीलकर्मी अभिलखों से हुई छोड़छाड़ सात माह बाद भी रिपोर्ट फाइलों में कैद भूमाफिया और अन्य पर नहीं हुई कार्रवाई।
मैनपुरी, जागरण संवाददाता। तहसील घिरोर के गांव कल्होर पछां में राजा के खेड़ा पर भू माफिया द्वारा कब्जा तहसील कर्मियों के शह पर किया था। राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर तहसील और चकबंदी कर्मचारियों ने भूमाफिया को लाभ पहुंचाया। एडीएम की जांच में यह साबित हो चुका है। चकबंदी विभाग ने भी रिकॉर्ड में कूटरचित की बात स्वीकारी है, लेकिन इसके बाद भी तहसील और चकबंदी विभाग के दोषियों पर कार्रवाई नहीं हो सकी है।
गांव कल्होर पछां निवासी रिटायर्ड दारोगा घनश्याम सिंह ने गांव के ही कई लोगों पर ग्रामसभा की सैंकड़ों बीघा जमीन तहसील और चकबंदी रिकॉर्ड में हेरफेर कर भूमाफिया के नाम दर्ज कराने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन डीएम से शिकायत की थी। इसमें जमींदारी समाप्त होने के बाद ग्रामसभा के खाते में दर्ज करोड़ों की भूमि को हड़पने और बड़े पैमाने पर मिट्टी का खनन करने का आरोप लगाया था। एडीएम बी. लाल को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया। 12 दिसंबर 2017 को जांच आख्या डीएम को भेजी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी और पूरे खेल में शामिल तहसील और चकबंदीकर्मियों के साथ भूमाफिया को अभयदान दे दिया गया।
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आरटीआइ से सामने आया सच-
करोड़ों की जमीन हड़पने और मिट्टी खनन का सच सामने लाने के लिए घनश्याम सिंह ने सूचना के अधिकार को हथियार बनाया और प्रशासन से प्रकरण में की गई जांच और कार्रवाई का विवरण मांगा। आरटीआइ से मिली जानकारी में हासिल जांच से तहसील घिरोर और चकबंदी विभाग का सच सामने आया है। इसमें चकबंदी आकार पत्र-41 के अनुसार नए गाटा बनाने के अलावा अभिलेखागार और तहसील की जोत चकबंदी आधार पत्र-41 की जिल्दों में भिन्नता होना भी अत्यधिक संदिग्ध बताया है। नहीं हो सकती किसी के नाम
एडीएम बी. लाल ने जांच में कहा है कि गाटा संख्या 2466-3.63, 2467-2.20, 2468-6.35 और 2469-2.19 का रकवा खेड़ा के नाम है और ग्राम सभा कल्होर पछां की सुरक्षित भूमि है। उप्र. जमींदारी विनियम अधि.-1950 की धारा के अनुसार ऐसी भूमि पर किसी व्यक्ति का भी स्वामित्व नहीं हो सकता।
एडीएम ने यह की सिफारिश
करोड़ो की जमीन से जुड़े इस प्रकरण में एडीएम बी. लाल ने स्पष्ट किया कि तहसील के राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कर खेड़ा के लिए सुरक्षित भूमि की श्रेणी परिवर्तित कर किसानों के नाम चढ़ाए। इस काम में क्षेत्रीय लेखपाल, चकबंदी विभाग के कर्मचारियों के साथ लाभार्थी स्वराज सिंह पुत्र गुलाब सिंह, माधुरी पत्नी हरवंश सिंह और शशि कुमारी की साजिश करना स्पष्ट है। एडीएम ने लाभार्थियों पर मुकदमा करने और राजस्व कर्मचारियों की अलग से एसडीएम से जांच को कहा था।
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