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पिच्छी परिवर्तन के साक्षी बने जैन समाज के श्रद्धालु

मैनपुरी जासं जैन मुनि ने पिच्छी परिवर्तन की तो समूचा माहौल श्रद्धा से ओतप्रोत हो उठा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 05:59 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 05:59 AM (IST)
पिच्छी परिवर्तन के साक्षी बने जैन समाज के श्रद्धालु
पिच्छी परिवर्तन के साक्षी बने जैन समाज के श्रद्धालु

मैनपुरी, जासं: जैन मुनि ने पिच्छी परिवर्तन की तो समूचा माहौल श्रद्धा से ओतप्रोत हो उठा। श्रद्धालु भी धार्मिक माहौल में झूम उठे। मुनिश्री ने पिच्छी के गुण बताए।

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यह धार्मिक कार्यक्रम शहर के करहल रोड स्थित जिनालय में हुआ। मंगलवार दोपहर 12 बजे जैन मुनि विशोक सागर के पिच्छी परिर्वतन कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सबसे पहले आचार्य विराग सागर महाराज के चित्र का अनावरण प्रकाश चंद्र जैन और अनंत कुमार जैन ने किया। दीप प्रज्वलन का दायित्व अरुण कुमार जैन और शैलेष मोदी परिवार ने निभाया।

मुनि विशोक सागर महाराज के पाद प्रक्षालन का सौभाग्य संजय जैन संसारपुर परिवार को मिला। मुनि को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य राजीव जैन के स्वजन को मिला। वस्त्र भेंट करने का सौभाग्य नरेंद्र जैन और संता-बसंता परिवार को मिला। इस मौके पर मुनि की गुरु पूजा भी की गई और चौबीस भगवानों के अर्ध चढ़ाए। जैन पाठशाला के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। यह कार्यक्रम निशंक जैन ने तैयार किए।

मुनिश्री को नई पिच्छी देने का सौभाग्य गौरव जैन, अभिषेक जैन, पं. अंनत कुमार, सौरभ जैन आदि को मिला, जबकि मुनि की पुरानी पिच्छी मिलने का सौभाग्य अरुण कुमार, विशाल जैन को मिला। वहीं, विश्वरक्ष सागर महाराज को नई पिच्छी देने का सौभाग्य संजीव जैन, श्रेयश जैन आदि को मिला, वहीं पुरानी पिच्छी प्राप्त करने का सौभाग्य विचित्र कुमार जैन परिवार को मिला।

कार्यक्रम में गौरव जैन, रमेश चंद जैन, शैलेष मोदी, संजय लोहिया, अंकित जैन, प्रशांत जैन, संजीव जैन, आलोक जैन आदि श्रद्धालु मौजूद रहे। संचालन पं. कमल कुमार जैन ने किया। व्यक्ति की पहचान गुणों से

जासं, मैनपुरी: मुनि विशोक सागर ने कहा कि देश की पहचान ध्वज और मुद्रा से होती है, जबकि पार्टियों की पहचान चिन्ह से होती है। वहीं, व्यक्ति की पहचान उसके गुणों से होती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा व्यक्ति की पहचान भाषा और उसके रहन- सहन, खाने पीने से होती हैं। जाति की पहचान भी अलग-अलग धार्मिक क्रियाओं और वस्तुओं से होती है।

उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों की पहचान चोटी- तिलक आदि से होती है। सिख धर्म के अनुयाई की कटारी और केशों से तो मुस्लिम धर्म के अनुयाई की पहचान टोपी और नमाज से होती है। वैसे ही दिगंबर संतों की पहचान कमंडल से होती है।


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