चिकित्सकों पर हमलों के विरोध में आइएमए डाक्टरों ने जताया रोष
चिकित्सकों और नर्सिग स्टाफ पर हो वाले हमले के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर रोष जताया। साथ ही प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र भेजा। साथ ही इमरजेंसी और ओपीडी सेवाओं का संचालन किया।
जासं, मैनपुरी : चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ पर होने वाले हमलों के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों ने काली पट्टी बांधकर अपना रोष जाहिर किया। संगठन के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम संबोधित पत्र भी भेजा गया। हालांकि, इस विरोध के दौरान चिकित्सकों ने मरीजों को परेशानी नहीं होने दी।
आइएमए के राष्ट्रीय आह्वान पर शुक्रवार को जिले में एसोसिएशन से जुडे़ अस्पतालों के चिकित्सकों ने रोष व्यक्त किया। जिलाध्यक्ष डा. आरएस यादव ने कहा कि चिकित्सक अपनी तरफ से कोई गलती नहीं करते हैं। मरीजों के बेहतर उपचार के लिए हर संभव प्रयास किए जाते हैं। इसके बावजूद कई बार मरीज या उनके तीमारदारों द्वारा चिकित्सकों के साथ अमर्यादित व्यवहार किया जाता है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें अस्पतालों में तोड़फोड़ करने के साथ चिकित्सकों और अन्य स्टाफ के साथ मारपीट की घटनाएं घटित हुईं।
इन घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए अस्पतालों को संरक्षित स्थान घोषित किए जाने को लेकर शासन से मांग की गई है। विरोध में आइएमए के सभी चिकित्सकों ने काला फीता बांधकर और काला मास्क लगाकर अपना रोष जाहिर किया। मरीजों की सुविधा का भी ख्याल रखा गया। ओपीडी और इमरजेंसी सेवाओं का संचालन कर मरीजों को उपचार दिया गया। विरोध में डा. पीके गुप्ता, डा. आरएस यादव, डा. निखिल गुप्ता, डा. एसएस पाल, डा. अजय बाबू शाह आदि उपस्थित रहे। ये हैं मुख्य मांगें
- अस्पतालों को संरक्षित स्थान घोषित कर तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ 10 साल तक के जेल का प्रावधान किया जाए।
- कोविड-19 संक्रमण के बीच उपचार करते हुए जिन चिकित्सकों की मृत्यु हुई है, उनके परिवारों को सरकार द्वारा लाभ दिया जाए।
- अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था के प्रबंधों को लेकर व्यवस्था कराई जाए।