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भूगर्भ जलस्तर गिरने से सूने हुए हैंडपंप

एलाऊ क्षेत्र में 20 साल में दोगुना जलस्तर नीचे गिर गया है। हैंडपंपों को रीबोर कराना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 15 Jul 2021 05:00 AM (IST)Updated: Thu, 15 Jul 2021 05:00 AM (IST)
भूगर्भ जलस्तर गिरने से सूने हुए हैंडपंप
भूगर्भ जलस्तर गिरने से सूने हुए हैंडपंप

संसू, अजीतगंज, मैनपुरी: तालाबों की बदहाली, पानी की बर्बादी और कम बारिश ने एलाऊ क्षेत्र में भूगर्भ जलस्तर को नीचे कर दिया है। क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांवों में लगे हैंडपंप की बोरिग फेल हो चुकी है। जलस्तर नीचे जाने से ये जरूरत पूरी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों को हैंडपंप रीबोर कराना पड़ रहा है। 100 फुट से ज्यादा गहराई तक बोरिग करानी पड़ रही है।

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विकासखंड जागीर क्षेत्र के दर्जनों गांवों में पीने के पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है। बीते कई वर्षों से बरसात कम हो रही है। दूसरी तरफ भूगर्भ जलस्तर को बढ़ाने वाले तालाबों की जमकर उपेक्षा हो रही है। ज्यादातर तालाबों को पाटकर कब्जे कर लिए गए हैं। अन्य में गंदगी-कचरे की भरमार है। इससे भूगर्भ जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। बीते एक साल में क्षेत्र के गांव अजीतगंज, वीरमपुर, मेदेपुर, एलाऊ, उस्मानपुर, दिवन्नपुर चौधरी सहित करीब दो दर्जन गांवों में घरों में लगे हैंडपंप से पानी आना बंद हो गया है।

ग्रामीणों ने बताया कि करीब दो दशक पहले 50 फुट गहराई पर घरेलू हैंडपंप लगाए जाते थे। इनमें भरपूर पानी मिल जाता था। अब जलस्तर 100 फीट और उससे भी ज्यादा नीचे चला गया है। ऐसे में ग्रामीणों को और गहराई तक दोबारा बोरिग करानी पड़ रही है। अजीतगंज निवासी 75 वर्षीय ईश्वर दयाल श्रीवास्तव का कहना है कि पहले हर गांव में कई-कई तालाब होते थे, जिससे बारिश के पानी का संरक्षण होता था और धरती की भी प्यास बुझ जाती थी। परंतु, अब तालाब बचे नहीं और भूगर्भ जल की बर्बादी भी बहुत ज्यादा हो रही है। इसी कारण यह संकट बढ़ रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक गांवों में दबंगों ने सरकारी हैंडपंपों में सबमर्सिबल लगा रखे हैं। इससे भी भूगर्भ जल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। अब क्षेत्रवासियों ने मुख्य विकास अधिकारी से सरकारी हैंडपंपों में लगे सबमर्सिबल हटवाने की मांग की है। मांग करने वालों में मुनीश कुमार, संदीप कुमार, सुरेश चंद्र, सत्य प्रकाश, मनोहर सिंह, अलकेश चौहान, राकी चौहान,गौतम पाल,संतोष पाल आदि शामिल हैं। सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि बेवजह हो रहे जल के प्रयोग को रोकें। जल संरक्षण के लिए तालाबों की देखभाल करें। खुद भी वर्षा जल संचय के लिए प्रयास करें।

अरविद चौहान उर्फ दुन्नी, गदाईपुर बरसात के समय तालाबों में पानी का संचय करना चाहिए। जरूरत अनुसार ही लोगों को घरों में पानी का उपयोग करना चाहिए। जल की कीमत को समझना चाहिए।

दुर्विजय दिवाकर, एलाऊ गत वर्षों से सामान्य से वर्षा कम होना और पेड़ों का कटान इसका एक प्रमुख कारण है। सभी को पौधारोपण करना चाहिए। इससे प्रदूषण कम होने के साथ जल संरक्षण में भी योगदान होगा।

सत्यनारायण सक्सेना, एलाऊ बेवजह पानी की बर्बादी को रोक कर भविष्य में जल संकट की समस्या से निजात मिल सकती है। सरकार को गिरते भूजल स्तर के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।

प्रवीन कुमार, दिवन्नपुर


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