गेहूं के समर्थन मूल्य से संतुष्ट नहीं किसान
किसान गेहूं जौ और मक्का के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि ये फसलें जिले में बहुतायत में होती हैं लेकिन इनका समर्थन मूल्य कम तय किया गया है इसे और बढ़ाना चाहिए था।
जासं, मैनपुरी: किसान गेहूं, जौ और मक्का के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि ये फसलें जिले में बहुतायत में होती हैं, लेकिन इनका समर्थन मूल्य कम तय किया गया है, इसे और बढ़ाना चाहिए था।
किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने किसानों को खुश करने के लिए फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का दांव चला है। इसके तहत गेहूं, जौ, चना के अलावा सरसों और दो अन्य फसलों के समर्थन मूल्य में इजाफा किया गया है, लेकिन जिले के किसान गेहूं और जौ पर सिर्फ 40 रुपये प्रति कुंतल की बढ़ोत्तरी से संतुष्ट नहीं हैं। किसानों का कहना है कि जिले में सरसों, चना और जौ का रकबा काफी कम होता है। यहां गेहूं सर्वाधिक पैदा होता है। लेकिन सरकार ने यहां के किसानों का ध्यान नहीं रखा है।
सरकार ने चना के अलावा सरसों पर ज्यादा मेहरबानी दिखाई है। चना जिले में कम पैदा किया जाता है। गेहूं के समर्थन मूल्य मे और इजाफा करना चाहिए था।
-रामेश्वर सिंह, बनखड़िया। सरकार ने सही फैसला लिया है। जिले के किसान चना पैदावार को बढ़ावा देने का काम करेंगे। वैसे, गेहूं पर कम मेहरबानी की गई, इस पर भी सोचते तो सही रहता।
-पप्पी चौहान, जिरौली जिले में जौ का रकबा कम होता है। सरकार को इस फसल पर समर्थन मूल्य बढ़ाना चाहिए था, जिससे जिले में इसकी ओर किसानों का रुझान बढ़ता। वैसे, सरकार का प्रयास ठीक है।
-पंडित नेत्रपाल, बिछवां।
सरसों पर सरकार ने समर्थन मूल्य उम्मीद से ज्यादा बढ़ाया है, इससे किसान अब इस फसल को बढ़ावा देंगे। सरकार का यह प्रयास किसानों को राहत देगा।
-आलोक कुमार, अंजनी।