जमीन में दफन हो गए हाइड्रेंट प्वाइंट, कैसे बुझे आग
मैनपुरी जासं। सूरत अग्निकांड ने विभागीय व्यवस्थाओं की परतें उधेड़कर रख दी हैं। शहर मैनपुरी भी प्रारंभिक पड़ताल में लगभग फेल हो गया है। पूरे शहर में एक भी हाइड्रेंट प्वाइंट ऐसा नहीं है जहां से जरूरत पड़ने पर दमकल के लिए पानी मिल सके। कुछ विस्तारीकरण में सड़कों के नीचे दब गए तो कुछ पालिका प्रशासन की अनदेखी में खराब पड़े हैं।
जासं, मैनपुरी : सूरत अग्निकांड ने विभागीय व्यवस्थाओं की परतें उधेड़कर रख दी हैं। शहर मैनपुरी भी प्रारंभिक पड़ताल में लगभग फेल हो गया है। पूरे शहर में एक भी हाइड्रेंट प्वाइंट ऐसा नहीं है जहां से जरूरत पड़ने पर दमकल के लिए पानी मिल सके। कुछ विस्तारीकरण में सड़कों के नीचे दब गए तो कुछ पालिका प्रशासन की अनदेखी में खराब पड़े हैं। अग्निशमन विभाग के इसके विकल्प के तौर पर ओवर हैड टैंक तो चिन्हित किए हैं, लेकिन ये शहर के सिर्फ कुछ हिस्सों में ही काम आ सकेंगे।
अग्निशमन विभाग जिले पहले ही संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। जिले में नौ फायर टेंडर होने चाहिए, लेकिन विभाग मात्र पांच के ही सहारे है। विभागीय आंकड़ों की मानें तो पूरे शहर में लगभग 50 हाईड्रेंट प्वाइंट हुआ करते थे। लेकिन सड़कों के निर्माण के दौरान ये सभी दबा दिए गए। स्थिति यह है कि आगजनी के दौरान दमकलों के लिए पूरे शहर में कहीं भी पानी के इंतजाम नहीं होते। कर्मियों को या तो अग्निशमन विभाग जाना पड़ता है या फिर नगर पालिका के वाटर वर्क्स पर।
इस समस्या से निपटने के लिए विभाग ने शहर के श्रंगार नगर, नगला कीरत, श्मशान घाट, लोहिया पार्क, छपट्टी, ताज दरवाजा और देवी रोड पर बने ओवर हैड टैंक के नीचे एक कपलिग लगाई है। इससे जरूरत पड़ने पर इन क्षेत्रों में तो पानी मिल जाएगा लेकिन शहर का लगभग 50 फीसद बड़ा आबादी वाला इलाका अब भी संकट में हैं। इनमें बाजारों के बीच से कई ऐसे संकरे रास्ते हैं जहां दमकल की गाड़ियां पहुंच ही नहीं सकती हैं। 'शहर में हाईड्रेंट प्वाइंट्स के लिए कई बार लिखा गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। हमने लोगों से अपील की है कि वे सबमर्सिबल पंपों से पानी जरूरत पड़ने पर उपलब्ध कराएं।'
मनु शर्मा, मुख्य अग्निशमन अधिकारी मैनपुरी