88 कोरोना संक्रमित मिले, एक की मौत
मुख्य चिकित्सा अधिकारी बोले 24 घंटे में किसी संक्रमित की मौत का मामला मेरे संज्ञान में नहीं शासन की रिपोर्ट में दर्शाई मौत
जासं, मैनपुरी : जिले में गुरुवार को 88 कोरोना संक्रमित मिले, जबकि एक की मौत बताई जा रही है। कोरोना संक्रमित की मौत की पुष्टि शासन से जारी रिपोर्ट में की गई है।
जिले में कोरोना का वायरस बरकरार है। गुरुवार की रात शासन स्तर से जारी हुई सूची में जिले में 88 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। जबकि एक मरीज की मौत भी दर्शाई जा रही है। इन नए मरीजों के साथ जिले में सक्रिय मरीजों की संख्या बढ़कर अब 565 रह गई है। 173 मरीजों को ठीक होने के बाद होम आइसोलेशन से बाहर आने की अनुमति दी गई है। सीएमओ डा. पीपी सिंह का कहना है पोर्टल पर एक मौत दर्शाई जा रही है, जबकि चौबीस घंटों के अंदर किसी भी कोरोना संक्रमित की मौत हमारे संज्ञान में नहीं आई है।
वैक्सीनेशन को होने लगा मंथन: मैनपुरी: किशोर और युवाओं का वैक्सीनेशन फीसद बढ़ाने के लिए विभागों में मंथन शुरू हो गया है। गुरुवार को सीडीओ विनोद कुमार ने अधीनस्थ अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि विशेष कैंपों का आयोजन करा किशोर को वैक्सीन लगवाई जाए। दोपहर में सीएमओ डा. पीपी सिंह ने सीएचसी कुचेला पहुंचकर आशा कार्यकर्ता से बात की। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की सूची तैयार कराई जाए जिनका दूसरा डोज बाकी है। 15 से 17 साल की उम्र वाले किशोर के वैक्सीनेशन के लिए भी व्यापक स्तर पर कार्रवाई की जाए। 24 जनवरी से 29 जनवरी तक घर-घर पहुंचकर टीमें वैक्सीनेशन का काम करेंगी। इस दौरान यदि किसी में संक्रमण के लक्षण मिलते हैं तो उनकी भी जांच कराई जाएगी। इस मौके पर डा. पपेंद्र कुमार, जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी रवींद्र सिंह गौर उपस्थित थे। उपकेंद्र पर सुधरें हालात तो मिले उपचार: संसू, अजीतगंज: स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए भले ही प्रयास हो रहे हों, लेकिन अब भी स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं हो पाई हैं। विकास खंड जागीर के गांव नगला बलू में बना स्वास्थ्य उपकेंद्र 11 साल में भी संचालित नहीं हो सका है।
नगला बलू में वर्ष 2011 में स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण किया गया था, परंतु इसका उद्घाटन नहीं हुआ। स्वास्थ्य विभाग ने यहां स्टाफ की भी तैनाती की। ऐसे में उपकेंद्र के भवन का हाल बदहाल होता गया। देखरेख के अभाव में अराजक तत्व उपकेंद्र के खिड़की और दरवाजों को उखाड़ ले गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी के कारण दबंगों के हौसले बुलंद हैं। जो कमरे डाक्टर व स्टाफ के बैठने व मरीजों के उपचार के लिए बनाए गए थे, उनमें गांव वालों ने भूसा और अन्य सामग्री भर रखी है। सर्दी के मौसम में परिसर में ग्रामीण अपने मवेशियों को बांधते हैं।
करीब चार साल पहले स्वास्थ्य विभाग ने एएनएम उमा देवी की तैनाती की, परंतु भवन की हालत खराब होने के कारण वह भी वहां नहीं बैठती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से यहां कोई कर्मचारी नहीं आया। स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा भी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में सामान्य समस्याओं के उपचार के लिए भी मरीजों को 10 किमी लंबी दूरी तय करके पीएचसी सगामई या फिर सीएचसी भांवत जाना पड़ता है।
एएनएम उमा देवी का कहना है कि जर्जर भवन में बैठने की सुविधा भी नहीं है। ऐसे में वैक्सीनेशन के लिए घर-घर संपर्क करना पड़ रहा है। ग्रामीण कप्तान सिंह, महेंद्र सिंह, भारत सिंह, रामपूत, सतीश चंद्र, केशव, प्रमोद कुमार, गोपाल दास, अमित कुमार, पवन सिंह ने सीएमओ से उपकेंद्र की मरम्मत कराने की मांग की है।