बहन ने दी थी भाई के गुनाह की गवाही
मैनपुरी जासं। घटना के समय रचना की उम्र महज 16 वर्ष थी। भाई को पिता सौतेली मां की अपनी आंखों के सामने हत्या करते देख दहशत में आ गई थी। आरोपित ने रचना को भी मौत के घाट उतारने की कोशिश की थी। रचना ने पूरा मंजर अदालत के सामने बयान किया था। इसी आधार पर तीनों आरोपितों को सजा सुनाई गई है।
जासं, मैनपुरी: घटना के समय रचना की उम्र महज 16 वर्ष थी। भाई को पिता, सौतेली मां की अपनी आंखों के सामने हत्या करते देख दहशत में आ गई थी। आरोपित ने रचना को भी मौत के घाट उतारने की कोशिश की थी। रचना ने पूरा मंजर अदालत के सामने बयान किया था। इसी आधार पर तीनों आरोपितों को सजा सुनाई गई है।
सुखराम निवासी जलालपुर की पहली पत्नी से एक पुत्र मनीष, दो पुत्रियां अंकिता और रचना थीं। पहली पत्नी की मौत के बाद सुखराम ने सुषमा से दूसरा विवाह कर लिया था। सुषमा ने एक पुत्र अभिषेक को जन्म दिया था। पहली पत्नी की मौत के बाद मनीष अपने मामा के घर चला गया था, जबकि उसकी दोनों बहनों का पालन पोषण सौतेली मां सुषमा ने किया था। अंकिता के विवाह के बाद मनीष की भी शादी कर दी तो वह अपने पिता के साथ रहने लगा। उसने अपने पिता पर जमीन के बंटवारे को दबाव बनाना शुरू कर दिया था। वह अधिक जमीन चाहता था, जबकि सुखराम मनीष और अभिषेक को बराबर जमीन देना चाहते थे। इसी से नाराज होकर मनीष ने तेहरे हत्याकांड को अंजाम दिया था।
घटना के समय रचना मौके पर थी। उसी के सामने मनीष और उसके साथियों ने पिता और सौतेली मां की ताबड़तोड़ फायरिग कर जान ले ली थी। रचना के मुताबिक मनीष ने उसकी भी हत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन वह भाग कर पड़ोसी के घर में छिप गई थी। रचना की गवाही आरोपितों को सजा देने का मुख्य आधार बनी। रचना को मिलेगी आर्थिक सहायता
अदालत द्वारा आदेश में कहा गया है कि रचना अपने पिता पर निर्भर थी। इसलिए अर्थदंड की धनराशि में से 75 फीसद धनराशि रचना को प्रदान की जाए। इसके साथ ही विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा भी रचना को आर्थिक सहायता दिलाई जाए। मनीष ने खुद को मार ली थी कोर्ट में गोली
घटना के बाद रचना ने प्रिस निवासी गांव खिरिया थाना औंछा के साथ विवाह कर लिया था। रचना ही घटना की मुख्य गवाह थी। रचना को गवाही से रोकने के लिए मनीष ने अपनी पत्नी सीमा के साथ मिलकर रचना के पति प्रिस को झूठे मामले में फंसाने का षड्यंत्र तैयार किया। 06 जनवरी, 2020 को मनीष पेशी पर कोर्ट में आया था, तभी सीमा ने कपड़ों में छुपाकर एक तमंचा मनीष तक पहुंचा दिया। इसी तमंचा से मनीष ने अपने पैर में गोली मारने के बाद प्रिस पर आरोप लगाया था। लेकिन, यह योजना सफल नहीं हो सकी। आरोपितों को नहीं मिल सकी जमानत
घटना के बाद पुलिस ने तीनों आरोपितों को जेल भेज दिया था। तीनों ने जमानत के लिए अदालत में अर्जी लगाई थी। लेकिन, उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई। उच्च न्यायालय से भी तीनों को राहत नहीं मिल सकी। दंड की पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय जाएगा मामला
मृत्यु दंड की सुनाए जाने के बाद दंडादेश को पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय भेजे जाने का प्रविधान है। इसलिए दंड के आदेश को उच्च न्यायालय भेजा जाएगा। वहां से पुष्टि के बाद ही मृत्यु दंड की सजा दी जाएगी। अदालत ने तीनों दोषियों को आदेश के प्रति उपलब्ध कराने का फैसला सुनाया, ताकि वे कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अपील कर सकें।