कोल्ड डायरिया का हमला, सैफई में उपचार
जिला अस्पताल में महीनेभर की छुट्टी पर हैं बाल रोग विशेषज्ञ नहीं मिल पा रहा उपचार
केस एक : शहर के मुहल्ला महमूदनगर निवासी अमित (5) को दो दिन से उल्टी और दस्त होने पर स्वजन मंगलवार सुबह छह बजे जिला अस्पताल की इमरजेंसी लेकर पहुंचे। बाल रोग विशेषज्ञ के न होने की बात कहकर बच्चे को सैफई ले जाने की सलाह दी गई।
केस दो : सोमवार रात लगभग आठ बजे कुरावली कस्बा निवासी रोशनी (10) को भी उल्टियां और बुखार की समस्या होने पर स्वजन इमरजेंसी लाए थे। पहले तो कोरोना जांच की सलाह दी गई। बाद में बाल रोग विशेषज्ञ के न होने की बात कहकर सैफई का रास्ता सुझाया। जासं, मैनपुरी: सर्द मौसम में बुजुर्ग और बच्चे कोल्ड डायरिया की चपेट में आ रहे हैं। सीएचसी, पीएचसी पर सुविधा के अभाव में मरीजों को लेकर तीमारदार जिला अस्पताल की दौड़ लगा रहे हैं, लेकिन यहां भी बाल रोग विशेषज्ञ के न होने के कारण उन्हें सैफई अस्पताल का रास्ता दिखाया जा रहा है। बता दें जिला अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं। ऐसे में 100 शैय्या विग से डा. डीके शाक्य को अस्पताल में तैनात किया था, लेकिन पारिवारिक समस्या की वजह से एक जनवरी से वह महीने भर की लंबी छुट्टी पर चले गए हैं। ऐसे में बच्चों को उचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। रोजाना आ रहे लगभग दो दर्जन मामले
जिला अस्पताल की इमरजेंसी में रोजाना कोल्ड डायरिया से ग्रसित लगभग दो दर्जन मामले आ रहे हैं। इनमें सर्वाधिक बच्चे होते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक न होने की वजह से उन्हें सैफई के लिए रेफर किया जा रहा है। क्या होता है कोल्ड डायरिया
100 शैय्या अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. अभिषेक दुबे का कहना है कि छह माह से लेकर पांच साल तक के बच्चे इसकी चपेट में ज्यादा आते हैं। इसमें सामान्यत: सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार आता है। जरा सी लापरवाही में डायरिया की शिकायत शुरू हो जाती है। उल्टी और दस्त की दिक्कत भी बढ़ती है। अनदेखी करने पर कई बार स्थिति जानलेवा भी हो जाती हैं। बचाव के लिए ये अपनाएं तरीका
डा. अभिषेक दुबे का कहना है कि सर्दी में बच्चों को गुनगुना भोजन और तरल पदार्थ सबसे ज्यादा देना चाहिए। पानी भी लगातार पीना चाहिए, क्योंकि कम पानी से डी-हाइड्रेशन की दिक्कत हो सकती है। डायरिया होने पर मूंग की दाल, दही, ओआरएस का घोल एवं खिचड़ी लेनी चाहिए। नारियल का पानी भी फायदेमंद होता है।