तार और पाइपों का जाल, नाला बना जी का जंजाल
जागरण संवाददाता महोबा मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की..। यही हाल जिला अस्पताल के सामने
जागरण संवाददाता, महोबा:
मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की..। यही हाल जिला अस्पताल के सामने निकले नाले के साथ है। शहर का मुख्य नाला चार किलो मीटर लंबा होने के साथ अन्य कई नालों से भी जुड़ा है। इसी नाले में कई मोहल्लों का पानी भी आता है। मुख्यालय की मुख्य सड़क पर भरने वाले बारिश के पानी की निकासी भी इसी से ही होती है।
1995 में जिला अस्पताल के सामने तैयार नाला तब अस्पताल भवन से पांच फीट नीचे तक गहरा था। आठ साल पहले दूसरा नाला पहले नाले के ऊपर ही बना। इसे बनाते समय इस बात का ध्यान नहीं दिया गया कि टेलीफोन, घरों से निकले पानी के पाइप, अन्य केबल इसी नाले के बीच में आ रहे हैं। ठेकेदार ने भी काम नहीं बढ़े, इसके लिए इन्हें बीच में ही छोड़ दिया। अब यही पाइप और तारों का जाल बड़ी मुसीबत बन गया है। यह दशा हर दो-चार मीटर की दूरी पर है। नाला की सफाई जब भी बारिश के दौरान होती है तो इन स्थानों का कचरा अटका रह जाता है। बारिश में पानी का बहाव तेजी के साथ नहीं हो पाता। जिला अस्पताल के सामने परिसर नीचा है, इसलिए नाले का पानी वहीं भर जाता है। नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी लालचंद्र सरोज कहते हैं कि नाले की सफाई में कई जगह दिक्कत आती है। दुकानों या अस्पताल के सामने पूरी सिल्ट निकालने की जगह नहीं मिलती। पानी को किया डायवर्ट
शहर में मुख्य नाला के अलावा हर मोहल्ला से नाला गुजारे गए हैं। पानी निकासी के लिए कई स्थानों पर मुख्य नाले से इन्हें जोड़ा गया है। कुछ का पानी बाईपास के पास गिराया जा रहा है तो कुछ नाले हमीरपुर चुंगी के पास गिरते हैं।