17 दिन तक जीरो रिपोर्ट के बाद फिर मिले दो संक्रमित
जागरण संवाददाता महोबा प्रशासन की सतर्कता डाक्टरों की मेहनत निगरानी समितियों की मेहनत
जागरण संवाददाता, महोबा: प्रशासन की सतर्कता, डाक्टरों की मेहनत, निगरानी समितियों की मेहनत पर आम जनता की लापरवाही ने पानी फेर दिया। लगातार 17 दिनों तक जिले में एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिला था। सरकार ने भी महोबा प्रशासन की इसके लिए सराहना की थी। बुंदेलखंड में तो एकलौता ऐसा जिला था जहां कोरोना से सबसे पहले मुक्ति मिली थी। 30 जून और उसके बाद एक जुलाई को कोरोना संक्रमित मिलने से एक बार जीरो आंकड़ा के साथ पर दो पाजिटिव शो करने लगे हैं।
29 जून के पहले की रिपोर्ट बताती है कि कोरोना की लड़ाई में महोबा ने किस कदर इस महामारी को घुटने टिका दिए थे। जिले में निगरानी समितियों के साथ, डाक्टर, अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए मरीजों की दिन रात सेवा की थी। यहां तक कि घरों में रहने वाले संक्रमितों के भी इलाज को लेकर पूरी सतर्कता बरती जा रही थी। यही कारण था कि 13 जून को जनपद कोरोना से मुक्त हो चुका था।
मंडल स्तर की समीक्षा करने आए मुख्यमंत्री ने भी महोबा की कोरोना संक्रमण को लेकर हुई तैयारियों की तारीफ की थी। कहा था कि महोबा अपने बेहतर इंतजाम और सुव्यस्थित तरीके से किए गए बचाव के कारण ही प्रदेश में पहले स्थान पर है। लखनऊ से भी उन्होंने घोषणा की थी कि अगले सात दिन तक कोई मरीज न मिलने पर जिले को पुरस्कृत किया जाएगा। वैसे जिले में 17 दिन तक कोई मरीज तो नहीं मिला। 30 जून को एक 85 साल की महिला कानपुर में जांच के दौरान संक्रमित निकली थी। एक जुलाई को छतरपुर निवासी एक युवक जिला अस्पताल में जांच के दौरान संक्रमित निकला। डाक्टर सुशील खरे ने बताया कि युवक के संक्रमित होने की रिपोर्ट गलती से जिले के पोर्टल पर दर्ज हो गई जबकि वह छतरपुर का रहने वाला है। महिला को बांदा में भर्ती कराया गया है।