बड़ों के साथ पाताली पानी खोज रहे नन्हें भागीरथ
जागरण संवाददाता, महोबा : सुबह से पिता के साथ बाइक में स्कूली बैग लेकर बच्चे गुरु गोरखनाथ की तपस्थली
जागरण संवाददाता, महोबा : सुबह से पिता के साथ बाइक में स्कूली बैग लेकर बच्चे गुरु गोरखनाथ की तपस्थली गोरखगिरि पर्वत पहुंचते है। यहां कोई क्लास या स्कूल नहीं है बल्कि बच्चों के अंदर पिता की तरह ही मातृभूमि का कर्ज उतारने और गोरखगिरि का खोया वैभव लौटाने का जज्बा है जो यहां उन्हें ले आता है। यह नन्हे भगीरथ हाथों में फावड़ा लेकर यहां पिछले 12 दिनों से चल रहे श्रमदान में अपनी भागीदारी कर रहे है। इस कार्य में उनके पिता भी उनकी हौसलाफजाई करते है और बच्चों को देखकर बड़ों का जोश और बढ़ जाता है।
शहर के गोरख सरोवर में बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर के आवाहन पर श्रमदान कार्य शुरू हुआ। 12 दिन के श्रमदान में सरोवर की 35 फिट लंबी और 6 फिट गहरी खोदाई हो चुकी है। यहां व्यापारी पवित्र पाटकार के दो बच्चे रौनक (13), कृष्णा (11) भी पहुंचकर श्रमदान कर रहे है। रौनक व कृष्णा का मानना है कि स्कूल को¨चग तो जाना ही है उनके पिता रोजाना यहां आते है तो वह घूम भी लेते है और थोड़ा श्रमदान भी हो जाता है। पवित्र पाटकर, अधिवक्ता कृष्ण गोपाल द्विवेदी, अंचल सोनी, अच्छेलाल व अमित शर्मा ने बताया कि पूर्वजों ने प्राचीन सरोवर, बेहर आदि जल संजीवनी के लिए बनवाए थे। लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जिससे पूर्वजों की यह विरासतें आज बदहाली का शिकार है। वह मानते है कि यदि इन धरोहरों को सहेजने की पहल होती तो आज जल संकट इतना भयावह नहीं होता। लेकिन अब भी समय है यदि अब ही चेत जाएं तो भविष्य में जलस्रोतों को संरक्षित कर आगामी पीढ़ी, पशुओं के लिए पानी को सहेजा जा सकता है। बड़े तो यहां श्रमदान कर ही रहे है लेकिन बच्चों के हौसलों के भी सभी कायल बने हुए है।