धूल में मिल रही वीरों की विरासत
अजय दीक्षित महोबा यह केवल एक पहाड़ नहीं वीरों की गाथा सुनाती प्राचीन
अजय दीक्षित, महोबा
यह केवल एक पहाड़ नहीं वीरों की गाथा सुनाती प्राचीन धरोहर हैं। वीरों की इस धरोहर को हम संजो न सके यह हम सबकी खामी है। इसकी देखरेख करना तो दूर हमारे अपनों ने इसे मिटाने के लिए इस पर कब्जा तक जमा लिया। विशाल तालाब जिसे चंदेलों ने सागर की संज्ञा दी थी, लेकिन यह अब सिकुड़ते जा रहे हैं।
महोबा मुख्यालय से उत्तर दिशा में दो किलो मीटर दूर दशपुर गांव में दच्छराज बच्छराज के किले व चौकी थीं। उनके तो अब अवशेष भी नहीं दिखते। बढ़ती आबादी और अतिक्रमण में पुरानी विरासत बहुत पहले खो चुकी है। यही हाल महोबा शहर में कीरतसागर, मदनसागर के आसपास प्राचीन बारहदरी हैं। जो धीरे-धीरे खंडहर हो चुकी हैं। यहां के लोगों ने यहां जानवर बांधने से लेकर वाहन खड़ा करने का अड्डा बना दिया है। पुराना इतिहास
महोबा नगर चंदेल राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। कुछ काल पूर्व तक इस नगर को पत्तनपुरा के नाम से भी जाना गया। बाद में चंद्रब्रह्म ने यहां कई महोत्सव आयोजित कराए। महोत्सव होने के बाद बताते हैं इस नगर का नाम पत्तनपुरा से महोत्सवपुरी रखा गया। इसे कालांतर में महोबा कहा जाने लगा था। चंद्रब्रह्म चंदेलों के आदि पुरुष थे और महोबा उनका मूल ठिकाना था। चंदेल राजाओं ने ही महोबा नगर के चारों ओर गोलाकार में सुंदर विशाल सरोवरों का निर्माण कराया था। इससे इस नगर की सुंदरता और निखर गई।
देखभाल नहीं हो सकी
शहर में गोरखगिरि के साथ, शिवतांडव, बड़ी चंद्रिका, छोटी चंद्रिका के साथ अन्य देव स्थान स्थापित हैं। गोरखगिरि पर भी सिद्ध बाबा का अति प्राचीन मंदिर है। जहां गोरखनाथ ने तप किया था। वहां मंदिर गर्भ में उनका चिमटा आज भी सुरक्षित है। इसके अलावा मदनसागर और उसके बीच बना खखरामठ भी है। रहलिया गांव के पास सूर्य मंदिर नगर को चार चांद लगाता है। अतिक्रमण लील रहा सौंदर्य
शहर में जमीन पर कब्जा करने वाले माफिया तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं। मदनसागर का काफी हिस्सा मिट्टी डाल कर वहां घर बनाए जा चुके हैं। आबादी का गंदा पानी इसी में छोड़ा जा रहा है। आल्हा की याद में यहां बना स्मारक, प्राचीन बारहदरी के आसपास आबादी बढ़ गई है। कोई सख्ती न होने के कारण लोगों ने कब्जा कर मकान बना लिए हैं। यह कदम उठाने की जरूरत
- पुरातत्व विभाग को चाहिए कि चंदेलकालीन विरासतों की रक्षा के लिए पुराने दस्तावेज खंगाले जाएं। पुराने नक्शा से जहां भी अतिक्रमण हुआ है उसे हटाया जाना चाहिए। आम जनता का भी सहयोग लेना चाहिए। - प्राचीन स्थल तक जाने के लिए सड़क निर्मित हो, उनकी देखरेख होने लगे तो अवैध कब्जा भी होना बंद हो जाएंगे, सुरक्षा के इंतजाम के लिए आसपास पुलिस चौकी का निर्माण भी किया जाना चाहिए। - अवैध कब्जे हटाकर वहां प्रशासन को दखल देने की जरूरत है, चंदेलकालीन जो प्राचीन बारहदरी हैं उन्हें स्मारक का रूप दिया जाना चाहिए, वहां एक संग्रहालय की भी स्थापना होनी चाहिए, इससे लोग आएंगे और जुड़ाव बढ़ेगा। - प्राचीन धरोहरों की देखरेख के साथ यहां पर्यटन को बढ़ाना मिले और आने वाले पर्यटकों को सुविधा देने के उचित इंतजाम होने चाहिए, इससे क्षेत्र का विकास तो होगा ही यहां के लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। नगर में अतिक्रमण के खिलाफ पहले भी कई बार अभियान चलाया जा चुका है। फिर भी जहां भी अवैध कब्जे हो रहे हैं उन्हें चिह्नित करके हटाया जाएगा।
राजेश कुमार यादव, ईओ, नगरपालिका।