बिछड़कर भी बुंदेलों से दूर न हो सके शंकर लाल
जासं महोबा पृथक बुंदेलखंड राज्य का सपना भले ही अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन इसके लिए आं
जासं, महोबा : पृथक बुंदेलखंड राज्य का सपना भले ही अभी पूरा नहीं हुआ है लेकिन इसके लिए आंदोलन की नींव रखने वाले शंकरलाल मेहरोत्रा के प्रयासों को कौन भूल सकता है। आज ही के दिन वह हम सभी को छोड़कर परमात्मा से जा मिले थे। आज फिर उनके नेक कार्यों को याद करने का समय है।
शंकर लाल मेहरोत्रा का जन्म नौ मार्च, 1948 को झांसी के प्रतिष्ठित कारोबारी सुंदर लाल मेहरोत्रा के घर हुआ था। जिस बुंदेलखंड राज्य आंदोलन को शंकर लाल मेहरोत्रा ने 17 सितंबर, 1989 में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित धवर्रा से शुरू किया था, उस आंदोलन का आज विस्तार हो चुका है। सन 2000 में उत्तराखंड, झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्य तो बने लेकिन बुंदेलखंड राज्य का सपना पूरा नहीं हुआ। बाद में इसी सदमे में 22 नवंबर, 2001 को शंकर लाल का निधन हो गया था।
जब बेच दी फैक्ट्री
आंदोलन के लिए धन की कमी पड़ने लगी तो उन्होंने नौगांव में संचालित डिस्टिलरी फैक्ट्री बेच दी। कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। आंदोलन को गति देने के लिए पूरे बुंदेलखंड में सभाएं, धरना प्रदर्शन शुरू करवाया।
विधानसभा-लोकसभा में फेंके पर्चे
1994 में मध्यप्रदेश विधानसभा और 1995 में लोकसभा में पर्चा फेंक कर बुंदेलखंड राज्य की मांग की। 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहा राव ने नौ साथियों सहित शंकरलाल को गिरफ्तार करवा दिया। बाद में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने उनको छुड़वाया था।
दिल्ली में दिया धरना
शंकरलाल ने बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के साथ ही उत्तराखंड, झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्य बनाने को लेकर एक संयुक्त मोर्चा का गठन किया। दिल्ली में जंतर मंतर पर एक महीने तक धरना दिया। जून 1998 में झांसी के बरुआ सागर में हुई हिसा से अटल सरकार इन पर नाराज हो गई। शंकरलाल व उनके साथियों पर रासुका लगा दी गई। यही कारण था कि सन 2000 में उत्तराखंड, झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्य तो बने लेकिन बुंदेलखंड राज्य का सपना पूरा नहीं हुआ। आखिर इसी सदमे में 22 नवंबर, 2001 को उनका निधन हो गया।
आंदोलन जारी है
शंकरलाल ने जिस लौ को प्रज्वलित किया, वह आज भी रोशन है। बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर महोबा में 635 दिन भूख हड़ताल कर चुके बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने कहा कि शंकर लाल मेहरोत्रा की कुर्बानियां बेकार नहीं जाएंगी। आंदोलन अभी जारी है, मांग पूरी होने तक चलता रहेगा। शंकरलाल की पुण्य तिथि पर आज बुंदेली समाज की ओर से एक सम्मान समारोह का भी आयोजन होगा।