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सदर अस्पताल बना वसूली सेंटर

जागरण संवाददाता, महोबा : सरकार ने सरकारी अस्पताल में सुविधाएं और बढ़ाने, गरीबों के लिए निश्शुल्क इल

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Mar 2018 03:02 AM (IST)Updated: Fri, 09 Mar 2018 03:02 AM (IST)
सदर अस्पताल बना वसूली सेंटर
सदर अस्पताल बना वसूली सेंटर

जागरण संवाददाता, महोबा : सरकार ने सरकारी अस्पताल में सुविधाएं और बढ़ाने, गरीबों के लिए निश्शुल्क इलाज की बात कह तो दी लेकिन सदर अस्पताल का जो ढर्रा पहले था आज भी वही कायम है। सुबह से ही यहां इलाज के लिए तीमारदार अपने मरीज को लेकर पहुंच तो जाते हैं लेकिन उन्हें यहां तक आने, इलाज कराने और दवा पाने में जितना रुपया खर्च हो जाता है उतने में वह आराम से किसी झोलाछाप से इलाज करा लेते। शायद यही कारण है कि गांव के अधिकांश लोग अपने आसपास ही किसी झोलाछाप से दवा लेने में विश्वास अधिक जताते हैं।

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जमुना के सात साल के बेटे के पैर में फ्रैक्चर है। उसने सरकारी अस्पताल में चेक कराया। डाक्टर ने प्लास्टर चढ़ाने की बात कहते हुए दवा भी दे दी। वह जब बेटे का प्लास्टर चढ़वाने गई तो पहले उससे चार सौ रुपये जमा करा लिए गए। पैसे उसके पास पूरे नहीं थे, इसलिए पड़ोस के कुछ लोग जो अस्पताल आए थे उनसे उधार लिए। तब कहीं उसके बेटे के पैर का प्लास्टर चढ़ सका। यहां प्लास्टर चढ़ाने के लिए और भी मरीज लाइन में हैं। सभी से वसूली अलग-अलग तय है। कोई दो सौ तो कोई पांच सौ रुपये तक जमा कर रहा है। गुरुवार को दवा कराने आए रोहित निवासी श्रीनगर, गौरव निवासी महोबा, धर्मेद्र निवासी ममना, रामदेवी व जानकी ने बताया कि यहां इलाज के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जो जान पहचान का होता है उसे पहले दवा मिल जाता है। आम आदमी घंटों लाइन में लगा रहता है।

दवा बाहर के लिए लिखी जाती

सदर अस्पताल में कई ऐसे डाक्टर हैं जो मेडिकल स्टोर से दलाली सेट किए हैं। वह तय मेडिकल स्टोर में तीमारदार को दवा लेने भेजते हैं। पर्चा भी वह सरकारी नहीं देते बल्कि एक कोड नंबर की तरह कागज के चुटके में दवा लिख देते हैं। राइ¨टग भी ऐसी की मेडिकल स्टोर वाला ही उनकी भाषा समझ पाता है। इसकी सच्चाई जाननी हो तो सुबह से लेकर शाम तक अस्पताल के आसपास खुले मेडिकल स्टोरों में सदर अस्पताल की ओर से आने वाले मरीज और तीमारदारों की भीड़ देखी जा सकती है। जौरहा निवासी गोकुल 70 तीन दिन पहले भर्ती हुआ था। इसे श्वांस की दिक्कत है। इसके लड़के लेखराम ने बताया कि डाक्टर ने उसे बाहर से दवा लाने के लिए पर्ची लिखी है। इंजेक्शन ले आया है लेकिन नर्स अब लगा नहीं रही है। तीन घंटे से वह परेशान है।

सीएमएस उदयवीर ¨सह का कहना है कि यह सब हमारी जानकारी में नहीं है, हमने सभी से कह दिया है कि कोई बाहर के लिए दवा न लिखे।


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