पान की खेती दे गई दगा, बागवानी से बदली किस्मत
जागरण संवाददाता, महोबा : कभी अतिवृष्टि तो कभी ओलावृष्टि ने अन्नदाता की कमर तोड़ दी है। विपर
जागरण संवाददाता, महोबा : कभी अतिवृष्टि तो कभी ओलावृष्टि ने अन्नदाता की कमर तोड़ दी है। विपरीत परिस्थितियों में जहां कई किसानों ने कर्ज और मर्ज के फेर में फंसकर ¨जदगी से नाता तोड़ दिया तो कई महानगर का रुख कर गए, लेकिन इन्हीं स्थितियों के बीच एक किसान ने अपने हौसलों से खुशहाली की इबारत लिख दी। बात हो रही है मुख्यालय के पिटाकपुरा निवासी राजेंद्र उर्फ रज्जू चौरसिया की। जिन्होंने आपदाओं के चलते पुश्तैनी पान की खेती छोड़ बागवानी का रुख किया और कड़ी मेहनत कर लाखों रुपये कमाकर सभी के प्रेरणास्त्रोत बन गए।
राजेंद्र बताते हैं कि वह 300 पारी में पान बरेजा करते थे, लेकिन साल 2007 के सूखे व बाद में अन्य आपदाओं के कारण पान की खेती तबाह हो गई। साल दर साल हो रहे घाटे के कारण उन्होंने पान की खेती को अलविदा कह दिया। घाटे से परेशान कई किसान खेती छोड़ नौकरी खोजने महानगर चले गए, लेकिन उन्होंने बागवानी की ओर रुख किया। उन्होंने अपनी दस बीघा की जमीन में दिन रात मेहनत कर सारे घाटे को एक साल में ही पूरा कर दिया।
राजेंद्र ने बताया कि गर्मियों में नींबू, कटहल, बेल और सर्दियों में मुसम्मी, अमरूद, आंवला की पैदावार करते हैं।
बकौल राजेंद्र उन्हें अभी तक सरकारी सहायता नहीं मिली है। इसके बाद भी बागवानी से वह सालाना ढाई से तीन लाख तक मुनाफा कमा लेते हैं। गांव में राजेंद्र की चमकी हुई किस्मत देखकर अब अन्य किसान भी बागवानी की ओर रुख कर रहे हैं।