सदी के महान क्रांतिकारी संत हैं ओशो
जागरण संवाददाता महोबा संत ओशो की 31वीं पुण्यतिथि पर बुंदेली समाज ने बुंदेलखंड के कोणार्क
जागरण संवाददाता, महोबा: संत ओशो की 31वीं पुण्यतिथि पर बुंदेली समाज ने बुंदेलखंड के कोणार्क के रूप में मशहूर सूर्य मंदिर परिसर में ध्यान कार्यक्रम आयोजित किया एवं उनको श्रद्धांजलि दी।
बुंदेली समाज संयोजक तारा पाटकर ने ओशो को सदी का महान क्रांतिकारी संत बताया। कहा कि ओशो का निधन 19 जनवरी, 1990 को पुणे स्थित आश्रम में हुआ था। वह मृत्यु से पूर्व अपने नव संन्यासवाद आंदोलन के कारण दुनिया भर में चर्चा का विषय बने रहे। मध्यप्रदेश के रायसेन में 11 दिसंबर 1931 को जन्मे ओशो का असली नाम चंद्र मोहन जैन था। ओरेगन प्रांत में उन्होंने अलग नगर बसाने का भी प्रयास किया लेकिन उनको अमेरिका छोड़ना पड़ा। ओशो की ध्यान विधियां अमेरिका समेत दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय हुई। ओशो ने ध्यान की 123 विधियां खोजी। मुन्ना जैन, मुकुल गुप्ता, ग्यासी लाल, दिनेश खरे, प्रवीण चौरसिया, प्रहलाद पुरवार, सिद्धगोपाल सेन, प्रमोद अनुरागी व ओमेंद्र सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
छात्र-छात्राओं ने गोरखगिरि में किया श्रमदान
जागरण संवाददाता, महोबा: गोरखगिरि पर चार जनवरी से श्रमदान चल रहा है। मंगलवार को स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने इसमें भाग लिया। मार्गो की साफ सफाई के साथ पौधों की सिचाई की।
गोरखगिरि को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. मोहम्मद आरिफ राइन के नेतृत्व में छात्राओं ने शिव तांडव परिसर की सफाई की। वहां रोपित पौधों की निराई की गई। कार्यक्रम अधिकारी राजकुमार निगम, नोडल अधिकारी क्रांतिदेवी, रवि प्रताप, शंभू राजा, संतोष वर्मा ने स्वयं सेवी छात्र छात्राओं के साथ इसमें हिस्सा लिया। बच्चों ने पर्वत की विशाल शिलाओं पर वाल पेंटिंग कर स्वामी विवेकानंद के संदेशों को अंकित किया।