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आफत का एक घंटा, अटक जातीं सांसें

सुशांत खरे महोबा इस माह दो बार ऐसे मौके आए कि अचानक से तेज

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 11:43 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 06:06 AM (IST)
आफत का एक घंटा, अटक जातीं सांसें
आफत का एक घंटा, अटक जातीं सांसें

सुशांत खरे, महोबा :

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इस माह दो बार ऐसे मौके आए कि अचानक से तेज बारिश ने एक घंटे में जिला अस्पताल को तालाब में बदल दिया था। बदहाली की यह तस्वीर पहली बार नजर नहीं आई है। इससे पहले भी कई बार बारिश के कारण ऐसा मंजर दिखाई दे चुका है। झमाझम बारिश का शोर जिला अस्पताल में अलर्ट सरीखा होता है। खलबली मच जाती है। स्टाफ किसी फौज की तरह आने वाली आफत से जूझने के लिए तैयार होने लगता है। एक से सवा घंटे जलभराव के बीच सांसें अटक जाती हैं।

बीते दिनों हुई बारिश में भी यही हुआ। आनन फानन मरीजों को अलर्ट किया गया। इधर-उधर बिखरे जरूरी कागजात संभाले जाते, तब तक पानी इमरजेंसी में भरता हुआ महिला वार्ड में जा घुसा था। जलभराव की आफत जब भी आती है, सबसे पहले मुसीबत में वे महिलाएं ही आती हैं जिनका प्रसव हुआ होता है। बारिश का पानी करीब एक घंटे तक भरा रहता है। प्रसूताओं के साथ तीमारदार व स्टाफ की परेशानी बढ़ जाती है। 21 जुलाई की शाम करीब सवा घंटे बारिश हुई तो अस्पताल परिसर से लेकर इमरजेंसी, महिला वार्ड तक पानी भर गया था। यहां ऊपर वाले वार्ड में प्रसव के बाद नीचे वार्ड में 15 जच्चा-बच्चा भर्ती थे। 25 जुलाई की शाम करीब डेढ़ घंटे तेज बारिश हुई और फिर पानी भर गया। तब ऊपर मंजिल में प्रसव के बाद 10 जच्चा-बच्चा नीचे भर्ती थे। 28 जुलाई की शाम पानी भरा तब 20 जच्चा बच्चा भर्ती थे। फार्मासिस्ट संतोष कुमार कहते हैं, बारिश होते ही सभी को अलर्ट कर दिया जाता है। पानी करीब एक से सवा घंटे तक भरा रहता है। सफाई का काम देखने वाले स्वीपर बिपुल, मुन्नी, माया और जितेंद्र तो जैसे उतने समय सारा कुछ भूल उस पानी को हटाने में जुटते हैं। माया कहती हैं, हम लोगों को संक्रमण का भय बना रहता है। नाले का पानी बह जाने के बाद भी गंदगी रहती है। उसे साफ करने में मेहनत करनी पड़ती है।

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सांप, कीड़े का रहता भय

जब भी पानी भरा होता है तो यही डर लगता है कि नवजात या प्रसूता नीचे पानी में न गिर जाए। जिस दिन पानी भरा, उस दिन भर्ती प्रसूताओं में ब्रजवती निवासी छिकहरा, विनीता निवासी बड़ीहाट, अफरोजजहां निवासी महोबा, रमादेवी निवासी पाय पहाड़ी के स्वजन ने बताया कि पानी भर जाने से यही डर था कि कहीं कीड़ा, सांप न आ जाए।

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अलमारी, दस्तावेज भी खराब हुए

फार्मासिस्ट संतोष कुमार कहते हैं कि 28 जुलाई को पानी भर जाने से प्रसूताओं की फाइलें भीग गई थीं। इन्हें बाद में सुखाया तो सही हो सकीं। यहां रखी लोहे की अलमारी में नीचे से जंग लग चुकी है।

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पानी भर जाने से स्टाफ को दिक्कत तो होती ही है, सबसे अधिक जच्चा-बच्चा की सुरक्षा करनी होती है। वैसे पानी जल्द हटाने के लिए पहले से ही सफाई कर्मियों को अलर्ट कर दिया जाता है।

-एसके वर्मा, प्रभारी सीएमएस जिला अस्पताल।


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