तीन साल में 11 बार चिट्ठी पर नहीं पसीजे 'सरकार'
अजय दीक्षित महोबा तीन साल के अंतराल में स्वास्थ्य महकमे ने 11 पत्र शासन
अजय दीक्षित, महोबा
तीन साल के अंतराल में स्वास्थ्य महकमे ने 11 पत्र शासन को लिखे पर 'सरकार' एक बार भी नहीं पसीजे। बारिश से पहले समस्या दुरुस्त कराने की गुहार काम नहीं आई। जनप्रतिनिधि को भी ज्ञापन दिए, लेकिन किसी की चुप्पी नहीं टूटी। हर बार डॉक्टर से लेकर अस्पताल कर्मियों का दिल जरूर टूटता रहा। जिला अस्पताल के वार्ड से लेकर परिसर तक भरने वाले पानी से सभी की सांसें अटकती रहीं पर इलाज नहीं मिल सका है। ये हाल तब हैं, जब सूबे के मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी का घर इसी जिले में हैं। वह भले यहां कम आते हों पर उनके पिता, चाचा व परिवार के लोग तो इसी जिले में रहते हैं।
यूं तो जिला अस्पताल में 20 साल से समस्याएं हैं, लेकिन तीन साल से हालात भयावह हैं। पहले सड़क नीचे होने से पानी निकल जाता था पर 2017 में त्वरित विकास योजना के तहत पीडब्ल्यूडी ने 24 करोड़ की लागत से पूरे शहर में सीसी सड़कें निर्मित कराई तो ऊंचाई बढ़ने से जलभराव होने लगा। महिला वार्ड, इमरजेंसी वार्ड में घुटनों तक पानी भरने के कारण बारिश से पहले ही पूरे स्वास्थ्य महकमे की धड़कनें तेज हो जाती हैं। जनप्रतिनिधियों की भी टालमटोल
जिले के सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने यह कहकर बला टाल ली कि सांसद निधि से 30 लाख रुपये दे दिए हैं, उससे जो करना है करो। सदर विधायक राकेश गोस्वामी ने बोले, हमसे तो किसी ने कुछ कहा ही नहीं। निधि मांगते तो जरूर देते। चरखारी विधायक बृजभूषण राजपूत का कहना है कि कई बार समस्याएं शासन तक उठाई हैं। इन बयानबाजी के बीच जिला अस्पताल की दुर्दशा जस की तस है। भूमिगत नाला या भवन की ऊंचाई बन सकती कारगर
जिला अस्पताल की समस्या का समय रहते इलाज होता तो स्थिति सुधर सकती थी। यहां स्टाफ की कमी को पूरा करने के साथ भवन सड़क निर्माण से पहले ही मानक के अनुसार पांच फीट ऊंचा कराने से जलभराव नहीं होता। पानी अंदर जाने से रोकने के लिए अलग से भूमिगत नाला बन सकता था।
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बारिश से पहले प्रतिवर्ष शासन और जनप्रतिनिधियों को चिट्ठी लिखते हैं। जलभराव के उचित इंतजाम की गुहार लगाते हैं। तीन साल से समस्या ज्यादा बढ़ने पर 11 बार चिट्ठी लिख चुके हैं पर शासन से कोई जवाब नहीं मिला।
-डॉ. आरपी मिश्रा, सीएमएस, जिला अस्पताल महोबा।