25 साल से जिला अस्पताल बना तमाशा और सियासत तमाशबीन
अजय दीक्षित महोबा जिन हालात से जिला अस्पताल गुजर रहा है। एक घंटे
अजय दीक्षित, महोबा
जिन हालात से जिला अस्पताल गुजर रहा है। एक घंटे की बारिश में ही टापू बनने वाले अस्पताल के परिसर से लेकर इमरजेंसी वार्ड, महिला वार्ड तक का नजारा देखकर कोई भी पसीज जाए। पानी के बीच बेबस मरीज लेटे रहते हैं। तीमारदार घुटनों तक पानी में खड़े होकर उन्हें दिलासा देते हैं। सियासत इन हालात पर बीते कई वर्षो में नहीं पसीजी। कितनी सरकारें आई और गई। कभी इस दल, कभी उस दल के विधायक काबिज रहे। कभी सत्ता पक्ष के तो कभी विपक्ष के। क्षेत्र की जनता को यह भरोसा देते रहे कि विकास के लिए सरकार के पास खजाने की कमी नहीं है, दिक्कत हो बताना। बीते 25 वर्षो में विधायकों की निधि से कभी जिला अस्पताल के लिए एक आना तक नहीं निकला। कमाल यह, शासन के सामूहिक बजट से जो काम हुआ, उसे ये अपने खाते में जोड़ना यह नहीं भूले।
जिला अस्पताल का प्रादुर्भाव सपा शासनकाल में 1995 में हुआ। तभी महोबा भी हमीरपुर से अलग होकर नया जिला बनाया गया था। सीएचसी को जिला अस्पताल बनाने के बाद यहां सपा सरकार के ही विधायक अरिमर्दन सिंह थे जो 2002 तक सदर के विधायक रहे। 2002 से 2007 तक सपा के सिद्धगोपाल साहू सदर विधायक रहे। 2007 से लेकर 20012 तक राकेश गोस्वामी बसपा से महोबा सदर विधायक रहे। 2012 से लेकर 2017 तक राजनारायन बुधौलिया बसपा से सदर विधायक रहे। फिर राकेश गोस्वामी सदर विधायक बने जो इस बार भाजपा से हैं। जब से जिला बना, तब से सदर में सपा के विधायक सबसे अधिक समय तक रहे। इसके बाद बसपा के। फिलहाल भाजपा के पास सदर और चरखारी दोनों सीटे हैं। जिला अस्पताल की समस्या 25 साल पुरानी है। शुरू से मांग रही कि जिला अस्पताल को आबादी से हटाकर बाहर बड़े भू-भाग में नए भवन में स्थापित किया जाए। स्टाफ बढ़ाने के साथ संसाधन बढ़ाने की मांग लगातार होती रही।
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किसने क्या दिया
सपा के विधायक अरिमर्दन सिंह के काल में जिला अस्पताल बना था। तभी मांग भी उठी थी कि इस भवन को आबादी से बाहर करके बड़े भू-भाग में बनाया जाए। उनका कहना है, नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की बदौलत यह जिला बना। बाद में उनकी सरकार नहीं रहने से हमारी नहीं सुनी गई। फिलहाल, हकीकत यह भी है, अरिमर्दन सिंह की ओर से भी जिला अस्पताल के लिए कोई निधि नहीं मिल सकी।
- बसपा से सदर विधायक रहे राजनारायन बुधौलिया कहते हैं, हमने प्रयास किए कि यहां के भवन को बड़े भू-भाग में आबादी के बाहर स्थापित किया जाए। स्टाफ बढ़ाने की भी मांग विधानसभा सत्र में तीन-चार बार रखी लेकिन, विपक्ष में होने के चलते हमारी नहीं सुनी गई।
- पहले बसपा से और बाद में भाजपा से विधायक बने राकेश गोस्वामी कहते हैं, हमने तो अस्पताल के सीएमएस से भी कई बार कहा कि यदि निधि की जरूरत हो तो कहें बल्कि जिले में अस्पताल के सामने सड़क आदि भी बनवाई है। सरकार को यहां की रिपोर्ट भी कई बार दी। निधि कितनी दी, इस सवाल पर बोले, कभी कोई मांग नहीं हुई।
- पूर्व विधायक सिद्ध गोपाल साहू कहते हैं, महोबा के लिए सपा सरकार ने 2015 में बजट दिया था। शहर में ड्रेनेज के लिए पैसा लगाने को कहा था, सीसी सड़क का भी काम होना था। शहर में जलनिकासी की समस्या पुरानी है, इस पर ध्यान देना चाहिए था। बाद में सरकार नहीं रही तो काम भी नहीं हो सका। हमारे कार्यकाल में मांग उठी थी कि अस्पताल आबादी से बाहर जाए लेकिन, जनता की सुविधा को देखते हुए इसे यहीं रहने दिया गया।