हताशा को हराकर शिक्षा की लौ जला रहे कीर्तिराज
सुबोध मिश्र, महोबा हौसले और जुनून से सब संभव है। कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो सभी बाध्
सुबोध मिश्र, महोबा
हौसले और जुनून से सब संभव है। कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो सभी बाधाएं बौनी साबित होती हैं। दिव्यांग शिक्षक कीर्तिराज एक ऐसा ही उदाहरण हैं। हताशा को हराकर ये आधुनिक तकनीकी के सहारे शिक्षा की लौ जला रहे हैं। अब वह जल्द ही स्कूल में निजी खर्चे पर प्रोजेक्टर लगवाने वाले हैं।
सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले 34 वर्षीय कीर्तिराज को छह साल पहले हुए हादसे ने बुरी तरह तोड़ दिया। सड़क दुर्घटना में सौ फीसद दिव्यांगता का शिकार हुए तो लगा जैसे जिंदगी खत्म हो गई। व्हीलचेयर सहारा बनी और बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी पाई। मुश्किलें यहां भी थीं। ब्लैकबोर्ड पर लिख नहीं सकते थे। छात्रों के सहारे किसी तरह पढ़ाना शुरू किया। ख्याल आया कि क्यों न तकनीक का सहारा लिया जाए। एनसीईआरटी का मोबाइल एप डाउनलोड किया और उसी से पढ़ाई कराने लगे। अब वे प्रोजेक्टर लगवाने जा रहे हैं। इसे मोबाइल से जोड़ने के लिए निजी व्यय से वाईफाई डिस्प्ले रिसीवर डिवाइस खरीद ली है।
छात्रों को देते हैं निश्शुल्क शिक्षा
रसायन विज्ञान में पीएचडी कीर्तिराज स्कूल के अलावा छात्रों को निश्शुल्क शिक्षा देते हैं। वह घर पर कक्षा 9 से ग्यारहवीं तक के विद्यार्थियों को ऑनलाइन पाठ्यसामग्री से पढ़ाते हैं।
वीडियो से होती है आसानी
कीर्तिराज का कहना है कि मानव मस्तिष्क चलायमान चीजों को जल्द ग्राह्य करता है। ऐसे में वीडियो से पढ़ाने और पढ़ने दोनों में बेहद आसानी होती है। बच्चों को प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाया जाए तो उन्हें ज्यादा आसानी होगी।