किसान पर पड़ रही दोहरी मार, ग्राहक भी बेजार
सब्जी) जागरण संवाददाता महोबा फसल तैयार करने के लिए लागत और मजदूरी दोनों ही किसानों प
सब्जी)
जागरण संवाददाता, महोबा: फसल तैयार करने के लिए लागत और मजदूरी दोनों ही किसानों पर दोहरी मार कर रहे हैं। दूसरी तरफ आम ग्राहक के लिए सब्जी बाजार जाना मतलब पाकेट का लुट जाना है।
किसान की पीड़ा - पूरा परिवार जुटा रहता है, सिचाई और खाद आदि सभी कुछ महंगा है, खेत में इस समय बैगन, टमाटर हो रहे हैं, सुबह लेकर बाजार आई थी, पूरा दिन बैठ कर बिक्री करना पड़ता है। इसी से पूरे परिवार का खर्चा के साथ खेती में लागत का भी इंतजाम करना पड़ता है। महिला किसान छाया। - जो सब्जी बाहर से आ रही है वह महंगी है, हम फुटकर दुकानदारों को आढ़ती ही महंगा सब्जी देते हैं, मजबूरन हम लोगों को उसी के अनुसार बिक्री करना पड़ रहा है, वैसे मुनाफा भी उतना नहीं मिल पाता है, वहीं जब सब्जी सस्ती होती है तो हम लोगों का मुनाफा भी ठीक रहता है। किसान बंदी।
ग्राहक की पॉकेट पर मार - कमाई तो उतनी ही है, उसी के अनुसार पूरे घर परिवार का खर्च पूरा करना पड़ रहा है, आटा, दाल से लेकर सब्जी तक का खर्चा पूरा करते-करते पंद्रह दिन में ही पूरे माह का बजट सिमट जा रहा है, इस समय त्योहार भी है ऐसे में दोहरी आफत मंडरा रही है। आम ग्राहक, पवित्र पाटकर। - सरकार को चाहिए कि बाहर से आने वाले माल पर महंगाई की मार कम पड़े ऐसे कदम उठाने चाहिए, जो सब्जी के दाम इस समय हैं ऐसा पहले कभी देखने को नहीं मिला, आलू जिसके बिना कोई भी सब्जी बनना संभव नहीं उसके दाम बहुत अधिक हैं, इस पर कंट्रोल करना चाहिए। जीतू नायक।