कोरोना काल में मजबूत हुई डिजिटल भुगतान की कड़ी
जागरण संवाददाता महोबा देश में मुद्रा के लेनदेन को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए कें
जागरण संवाददाता, महोबा : देश में मुद्रा के लेनदेन को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र सरकार ने भले ही लगभग ढ़ाई साल पहले प्रयास शुरू किए हों पर कोरोना संकट ने आम लोगों के जीवन में ऐसा बदलाव किया कि लोग मजबूर होकर डिजिटल भुगतान की और बढ़े और होने वाली सहूलियत और सुरक्षा का एहसास किया। देश में हुए लॉकडाउन ने जनपद में लगभग 30 फीसद से अधिक भुगतान को डिजिटल रूप दिया।
कोरोना संकट में लोगों की जीवन शैली में तेजी से बदलाव आया है। चाहे गांव हो या कस्बे बाजार के तौर-तरीके बदले और नोट का प्रचलन कम होना शुरू हो गया। छोटी से छोटी वस्तुओं की खरीद में भी अब डिजिटल भुगतान ने पैठ बनाना शुरू कर दिया है। बड़े शहरों में ये कोशिश कई साल से चल रही थीं। सरकार की प्राथमिकता भी डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने की रही। पर कोरोना ने इसे कस्बों और गांवों तक खुद ब खुद पहुंचा दिया। जनपद की लीड बैंक इंडियन बैंक (पहले इलाहाबाद बैंक) के एलडीएम अनूप यादव की मानें तो कोरोना संक्रमण काल के पहले जनपद में औसत प्रति दिन होने वाले 16 करोड़ के टर्न ओवर का मात्र 18 से 20 फीसद ही डिजिटल भुगतान होता था पर अब यह बढ़ कर 35 फीसद तक पहुंच गया है। अनूप कुमार बताते हैं कि बैंक बंद होने अथवा शारीरिक दूरी के चलते लगने वाले समय की वजह से लोगों का झुकाव डिजिटल पेमेंट की तरफ बढ़ा है।
इसी तरह ग्राम क्षेत्र में काम करने वाली सीएसी के वीएलई (विलेज लेबिल इंटरपेन्योर) भी संक्रमण के पहले कुल लेनदेन का 34 फीसद ही डिजीपे द्वारा डिजिटल कर पाते थे। संक्रमण काल और उसके बाद वीएलई की संख्या बढ़ कर 218 से लगभग 400 पहुंच गई है और और डिजिटल भुगतान 55.47 फीसद तक जा पहुंचा है।
दरवाजे पर मिला भुगतान
लॉकडाउन में बैंक बंद रहीं, जब अनुमति मिली तो पहुंचाना कठिन था। केंद्र सरकार ने राहत के लिए खातों में पैसे मांगे तो पुरवा जैतपुर के वीएलई सीताराम सेन ने खुद गांव की रामकुमारी को उसके दरवाजे पर थंब इंप्रेशन लेकर एक हजार रुपये का भुगतान किया तो यह प्रक्रिया उसे बहुत सहज लगी और अब जब जरूरत होती है तो सीएसी आती है। रात पड़ी पैसों की जरुरत, तब पता चली उपयोगिता
लॉकडाउन में सब कुछ बंद था उस समय गांव व के रामप्रकाश की पत्नी के उपचार के लिए उसे खाते से 10 हजार रुपये निकालने की जरूरत पड़ी। रात 11:30 बजे कबरई ब्लॉक के बरभौली वीएलई के यहां आया और थंब इंप्रेशन देकर खाते से डीजीएप के माध्यम से रुपये लिए। तभी उसे डिजिटल भुगतान का महत्व पता चला।