उपभोक्ता फोरम ने पीड़ित को दिलाए 39000 रुपये
जागरण संवाददाता, महोबा: जिला उपभोक्ता फोरम की पीठ ने एक मामले में पीड़ित को 39000 रूपये ि
जागरण संवाददाता, महोबा: जिला उपभोक्ता फोरम की पीठ ने एक मामले में पीड़ित को 39000 रूपये दिलाए। दूसरे मामले में ऋणी से मूल ऋण एक लाख रूपये के एवज में 2 लाख 21 हजार एक सौ रूपये जमा करने को वसूली कार्रवाई अग्रसर करने पर विपक्षी बैंक को ऋणी गरीब के ऋण खाते को बन्द करने तथा क्षतिपूर्ति एवं वाद व्यय दिलाने का आदेश दिया।
जिला उपभोक्ता एवं प्रतितोष फोरम के अध्यक्ष सूबेदार यादव ने कहा कि उपभोक्ता सम्प्रभु है, परन्तु वह वाणिज्यिक संस्कृति का दास हो गया है। स्वतंत्र बाजार की अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता सम्राट कहा जाता है, परन्तु मुक्त व्यापार संव्यवहार में उपभोक्ता मजबूर होकर दीन हीन होता जा रहा है। इन्हीं परिस्थितियों में अर्थक्षेत्र में अहस्तक्षेप के पोषक सिद्धान्त को तिरस्कृत करते हुए उपभोक्तावाद का संदर्भ जीवन की गुणवत्ता से लिया गया। फलस्वरूप भारतीय संसद द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 का विधायन किया गया जो एक सामाजिक तथा लाभकारी विधायन है। उन्होंने कहा, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सही एवं सद्भावी व्यक्तियों को ही मिले, यह तय करना न्यायालय का उत्तरदायित्व है। इसीलिए सेवा प्रदाता द्वारा ग्राहक सेवा में बिना किसी युति एवं व्यापारिक कदाचरण के विपक्षीगण को तंग करने व न्यायिक प्रक्रिया के दुरूपयोग के दो मामलों को जिलापीठ द्वारा विशेष दर्जे के साथ खारिज किया गया। न्यायालय से दो लोगों को न्याय दिलाया गया।