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बिना 'राज' मिला था जिला अस्पताल का 'ताज'

अभिषेक द्विवेदी महोबा वर्ष 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 11:09 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 06:04 AM (IST)
बिना 'राज' मिला था जिला अस्पताल का 'ताज'
बिना 'राज' मिला था जिला अस्पताल का 'ताज'

अभिषेक द्विवेदी, महोबा

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वर्ष 1995 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव नेमहोबा को जिला बनाने की घोषणा की तो अफसरों ने भी जल्दबाजी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) को जिला अस्पताल का दर्जा दे दिया। मतलब, पहला ही दांव 'मुलायम' पड़ा और बिना 'राज' का 'ताज' पहने सीएचसी में जिला अस्पताल जैसी बेहतर सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई। धीरे-धीरे 25 साल में हालात ज्यादा नहीं बदल सके हैं। इसके बाद बसपा और भाजपा सरकारों में भी नेताओं की नजर नहीं पड़ी।

महोबा के जिला बनने के बाद विकास की आस जगी थी, लेकिन बहुत कुछ मिला नहीं। इसी में जिला अस्पताल का दर्जा पाने वाली सीएचसी भी सुविधाओं की दरकार को लेकर आंसू बहा रही है। बुंदेली समाज, महोबा विकास मंच जैसे कई संगठनों ने आवाज बुलंद की पर नया भवन तक नसीब नहीं हुआ है। आठ लाख की आबादी पर 10 डाक्टर

जिले की आठ लाख की आबादी के बीच अस्पताल में 10 डाक्टर हैं। यह हालात सीएचसी के जिला अस्पताल के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से ही हैं। सिर्फ रेफर सेंटर तक सीमित

समय के साथ सुविधाएं नहीं मिलने के कारण जिला अस्पताल रेफर सेंटर है। गंभीर मरीज छोड़िए, सामान्य को भी डॉक्टर रेफर करनो पहली प्राथमिकता समझते हैं। मरीज के तीमारदार को झांसी लेकर जाने की सलाह दी जाती है। अब मुख्य सचिव से जगी आस

जिस घर-गांव या शहर ने प्रदेश का मुख्य सचिव दिया हो, वहां के जिला अस्पताल की बदहाली पूरे सूबे के लिए बानगी हो सकती है। वैसे, अब मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी के मामला संज्ञान में लेने से लोगों को फिर आस जगी है। डॉक्टर व कर्मचारी मानक से कम

मानक के तहत जिला अस्पताल में 25 डॉक्टर होने चाहिए पर वर्तमान में दस हैं। इनमें एक की कारागार व पोस्टमार्टम ड्यूटी रहती है। आठ फार्मासिस्ट के स्थान पर चार, स्टाफ नर्स 21 की जगह महज 12 हैं। इसी तरह प्रभारी अधिकारी फार्मेसी का एक पद खाली है। सिस्टर एक भी नहीं हैं, जबकि 13 होनी चाहिए। उपचारिका 26 के स्थान पर महज तीन हैं। वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन नहीं है। इसी तरह कई और पदों पर भी तैनाती नहीं है। सीएचसी-पीएचसी में भी सुविधाएं नाकाफी

जिले में चार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुलपहाड़, कबरई, चरखारी व पनवाड़ी मे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैतपुर, श्रीनगर, गौरहारी, खरेला, ग्योड़ी, खन्ना, पहरा, दुलारा, किल्हौवा, कोहनिया में हैं पर सुविधाएं नाकाफी हैं। इनका कहना है

डाक्टरों की कमी को लेकर शासन को पत्र लिखे हैं। शासन स्तर से जल्द डॉक्टर व कर्मी मुहैया कराने का आश्वासन मिला है।

-डॉ आरके मिश्रा, सीएमएस।


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