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Mahoba Accident: ट्रेन का हॉर्न न सुन सका किसान और चली गई जान, कानों से सुनाई देता था कम

महोबा के कुलपहाड़ क्षेत्र में रेलवे लाइन किनारे मवेशियों को लेकर गए किसान की ट्रेन की चपेट में आकर मौत हो गई । वह बैंक कर्ज और फसल की पैदावार अच्छी न होने से भी परेशान था ।

By Sarash BajpaiEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 04:55 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 04:55 PM (IST)
Mahoba Accident: ट्रेन का हॉर्न न सुन सका किसान और चली गई जान, कानों से सुनाई देता था कम
महोबा में ट्रेन से कटकर किसान की मौत हो गई।

महोबा, जेएनएन। कर्ज और फसल की उपज सही न होने से परेशान किसान के परिवार पर एक और मुसीबत आ गिरी। फसल को चर रहे मवेशियों को भगाते समय किसान की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। किसान पर क्रेडिट कार्ड और कोऑपरेटिव बैंक से लिया गया लोन बकाया है। इसे लेकर भी वह काफी समय से परेशान था।

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महोबा के कुलपहाड़ स्थित राजा वार्ड निवासी 58 वर्षीय अशोक रिछारिया के बेटे विकास ने बताया कि पिता जी को कान में दिक्कत के चलते कम सुनाई देता था। वह सोमवार को प्रतिदिन की तरह सुबह करीब छह बजे खेत की ओर गए थे। करीब दो घंटे बाद पास खेत के किसान ने फोन करके सूचना दी कि पिता की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई है।

पत्नी अहिल्या ने बताया कि उनके खेत के निकट से ही रेलवे लाइन निकली है। सुबह बांदा-झांसी पैसेंजर ट्रेन जब ट्रैक से गुजर रही थी, तभी एकाएक वह उधर से मवेशियों को भगाते हुए निकल रहे थे कि ट्रेन को देख न पाने के कारण वह उसकी चपेट में आ गए। जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई। खेत पर काम कर रहे स्थानीय लोगों ने जब ट्रेन को काफी देर तक हार्न बजाते सुना तो वे मौके पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि अशोक की ट्रेन से कटने से मौत हो गई है। इसकी सूचना घर वालों को दी गई। पुलिस भी मौके पर पहुंच गई।

बढ़ती ही गई मुसीबत

किसान के पास पहले पांच से छह बीघा जमीन थी। उपज सही न होने और आवश्यकता पर उन्होंने बीच-बीच में अपनी करीब चार बीघा खेती बेंच दी। वर्तमान में उनके पास दो बीघा जमीन ही शेष है। इसमें मटर, गेहूं की फसल है। पिछले साल तैयार फसल से भी घर का खर्चा ही बमुश्किल निकल सका था। इसी को लेकर किसान अशोक की मुसीबत बढ़ गई थी कि बैंक का और कुछ रिश्तेदारों से लिया गया कर्जा वह कैसे चुकता करेगा।

दुकान से ही था सहारा

किसान अशोक के दो बेटे हैं। छोटा बेटा सौरभ और बड़ा बेटा विकास है। छोटा बेटा कुलपहाड़ में जनरल स्टोर की दुकान किए है। विकास दिल्ली में एक कंपनी में नौकरी करता है। लॉकडाउन के समय दिल्ली से बेटा यहीं लौट आया था। बाद में फिर चला गया था। दुकान का काम भी मंदा पड़ जाने से दिक्कत हो रही थी।

बड़ौदा और कोऑपरेटिव बैंक में है लोन

किसान की भिलौनी मौजा में 2 बीघा जमीन है। जिस पर बैंक ऑफ बड़ौदा की कुलपहाड़ शाखा में 70000 का किसान क्रेडिट कार्ड बना है,जबकि कोऑपरेटिव सोसाइटी में 15000 का ऋण उनके द्वारा लिया गया है। कर्ज काफी ज्यादा हो गया था जिसके कारण वह परेशान रहते थे, पत्नी अहिल्या ने बताया कि उन्हें बहुत समझाया लेकिन परेशानी के चलते उन्होंने अपनी जान दे दी।

लेखपाल ने की पड़ताल

तहसीलदार सुबोध मणि शर्मा ने बताया कि घटना की जानकारी होने पर लेखपाल को मौके का मुआयना करने के लिए भेजा गया था उसकी जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी।


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