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मुआवजे पर अड़े किसान, काम ठप

संवाद सहयोगी, (महोबा) कबरई: अर्जुन सहायक परियोजना के तहत कबरई बांध के उच्चीकरण के काम को किसानों ने

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 01:00 AM (IST)
मुआवजे पर अड़े किसान, काम ठप
मुआवजे पर अड़े किसान, काम ठप

संवाद सहयोगी, (महोबा) कबरई: अर्जुन सहायक परियोजना के तहत कबरई बांध के उच्चीकरण के काम को किसानों ने बंद करा दिया। डूब क्षेत्र में आ रहे खेतों का मुआवजा न मिलने व दो एक माह बाद बरसात आ जाने के डर से किसान परेशान हैं। ¨सचाई विभाग के सैकड़ों चक्कर लगाने के बाद भी सुनवाई न होने से अब किसानों का आक्रोश और बढ़ गया है।

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बुन्देलखण्ड की महत्वाकांक्षी अर्जुन सहायक परियोजना जिम्मेदार अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते शुरू से ही विवादों के घेरे में रही है। जिसके चलते 2012 में पूरी हो जाने वाली योजना 2017 में भी पूरी नहीं हो सकी है। विधान सभा चुनावों के पहले पूरी तरह डूब क्षेत्र में आ चुके झिर सहेवा गांव के किसानों को अपना मुआवजा पाने के लिए मतदान बहिष्कार की घोषणा करनी पड़ी थी। तब घबराये प्रशासन ने किसानों की ¨सचाई विभाग के उच्चाधिकारियों से बात करा किसी तरह उन्हें मनाया था। झिर सहेवा का मामला अभी पूरी तरह निपटा भी नहीं है की अब कई वर्षो से ¨सचाई विभाग की टालने वाली नीति से परेशान एक सैकड़ा किसानों ने एक जुट् हो बांध में पहुंचकर काम बन्द करा दिया। किसानों के तेवर देख मशीनों में काम कर रहे आपरेटर मशीनें छोड़ कर भाग गए। किसान लक्ष्मी प्रसाद,अरविन्द मिश्र,चंद्र किशोर, बीरेंद्र, बलबीर ¨सह, संतोष, बिनीता, मोहन वर्मा आदि का कहना है की उनके सहित कुल 57 किसान कबरई मौजे में हैं जिन्हें डूब क्षेत्र में जमीन होने के बावजूद मुआवजा नहीं दिया जा रहा है । ¨सचाई विभाग के अधिकारी अभी तक बजट न होने का रोना रोते रहे। धन आते ही मुआवजा देने की बात कह टालते रहे। अब कह रहे हैं कि जिन जमीनों पर खोदाई आदि काम करेंगे उन्हीं को मुआवजा देंगे। किसानों का कहना है कि उनकी जमीनों के आस पास चारों और खोदाई की जा चुकी है। बारिश होते ही उनके खेतों में भी पानी भर जाएगा। इसके आलावा उनकी भूमि बांध के डूब क्षेत्र में भी है। इन हालात में वो कई वर्षो से अपनी भूमि में खेती नहीं कर पा रहे हैं। किसानों ने मुआवजे का निस्तारण न होने तक बांध में काम न होने देने का निर्णय लिया है। बहरहाल यदि प्रशासन ने इस समस्या पर ध्यान नहीं देता तो किसानों का आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है। वहीं इस बांध से प्रभावित एझी गांवों के किसानों के भी इस आंदोलन से जुड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस संबंध में अधीक्षण अभियंता ¨सचाई निर्माण मंडल प्रभारी पीके गुप्ता ने बताया वह कमिश्नर की बैठक में हैं अभी बात नहीं कर सकते, बाद बताएंगे।


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