दिव्य ऊर्जा के अक्षय भंडार हैं वट वृक्ष
महराजगंज सनातन धर्म में न केवल देवी-देवता की पूजा होती है बल्कि इसमें कई तरह के पेड़ आ
महराजगंज : सनातन धर्म में न केवल देवी-देवता की पूजा होती है, बल्कि इसमें कई तरह के पेड़ आदि की भी पूजा का अधिक महत्व है। इतना ही नहीं इन पेड़- पौधों से जुड़े कई व्रत त्योहार भी हैं। इन्हीं में से एक है वट सावित्री का व्रत।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा- अर्चना करतीं हैं। पुत्र कामना व घर की सुख-शांति के लिए वट वृक्ष को जल अर्पित करते हुए इस पर रक्षा सूत्र बांधती है। 108 बार इसकी परिक्रमा करती है। हिदू धर्म के पुराणों की मानें तो वटवृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में महादेव का वास होता है। वैदिक धर्म के साथ-साथ जैन धर्म में भी वट का काफी महत्व है। इसे अमरता का प्रतीक भी माना जाता है। स्कंद पुराण के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तथा पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है। मुख्य रूप से वट सावित्री का व्रत गुजरात, महाराष्ट्र व दक्षिण भारत की स्त्रियां ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को करती हैं। कहा जाता है कि इस पवित्र वट यानी बरगद के वृक्ष में सृष्टि के सृजन, पालन और संहार करने वाले त्रिदेवों की दिव्य ऊर्जा का अक्षय भंडार उपलब्ध होता है। प्राचीन ग्रंथ वृक्षायुर्वेद में वर्णन मिलता है कि जो यथोचित रूप से बरगद के वृक्ष लगाता है, वह अंत में शिव धाम को प्राप्त होता है। बता दें कि इस वृक्ष का जितना धार्मिक ²ष्टि से महत्व है, उतना ही चिकित्सा की ²ष्टि से भी है। आक्सीजन का भंडार माना जाने वाला वट वृक्ष जीवन देने वाला वृक्ष है, इसके पौधे को सभी को रोपित करना चाहिए।
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वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार वट सावित्री व्रत करती हूं। इससे जहां परिवार में सुख, शांति, समृद्धि आती है। वहीं इस व्रत से पति की आयु लंबी होती है। यह सुहागिनों का व्रत है। इस व्रत द्वारा वट वृक्ष की महत्ता और बढ़ जाती है।
लक्ष्मी अग्रवाल , निचलौल
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वट सावित्री व्रत सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण व्रत है। इसमे सबसे अच्छी बात है कि महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं, जो आक्सीजन का सबस अच्छा स्त्रोत माना गया है। इस कोरोना के समय मे जहां लोगों को हजारों लाखों रुपये आक्सीजन के लिए खर्च करने पड़े, वहीं वट वृक्ष से भरपूर आक्सीजन मिलता है।
अनुराधा पटेल, निचलौल
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वट वृक्ष का हिदू धर्म मे विशेष महत्व है। इससे हमें ज्यादा आक्सीजन तो मिलता ही है। इसकी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जातीं हैं। वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष की पूजा की जाती है, जिससे हमें वट वृक्ष से जुड़ने का मौका मिलता है। पुरानी परंपराएं हमें सबका आदर करना सिखाती हैं।
नेहा तिवारी, निचलौल
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वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष के नीचे पूजा की जाती है। इस पूजा का सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व है। मोहल्ले में स्थित बरगद पेड़ के नीचे पूजा करूंगी। पर्यावरण संरक्षण, आक्सीजन व पूजा के लिए बरगद का पौधा सभी को लगाना चाहिए। मैं भी उस दिन बरगद का पौधा लगाऊंगी।
स्नेहलता सिंह, निचलौल