पहचान के लिए लावारिस शव रखने का नहीं है इंतजाम
अव्यवस्था होने से तीन दिनों में ही शुरू हो जाती है सड़न
महराजगंज: जिले में कहीं भी कोई लावारिस शव मिलता है तो प्रावधान के अनुसार पहचान के लिए उसे 72 घंटे सुरक्षित रखना जरूरी है। इसके लिए शीतक रूम होना चाहिए, लेकिन महराजगंज में इसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। शव को रखने के लिए एक मात्र जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस का कमरा निर्धारित है। शव की बेहतर रखने का इंतजाम न होने से समय पूर्व ही स्थिति खराब होने लगती है।
नियम के अनुसार जब भी कोई लावारिस शव मिलता है तो उसकों स्वजन की पहचान के लिए 72 घंटे तक सुरक्षित रखना होता है। इसके लिए नियमानुसार पुलिस विभाग की ओर से डिफ्रीजर अथवा शीतक गृह की व्यवस्था की जाती है। लेकिन जिले में आज तक न तो इसके लिए पहल की गई और न ही कोई व्यवस्था हो पाई। शवों को रखने के लिए शीतकगृह की व्यवस्था नहीं रहने के कारण कुछ ही घंटों के बाद शवों की स्थिति खराब होने लगती है। कई बार तो लावारिश शव की स्थिति बुरी हो जाती है , जिससे पहचान करना भी असंभव हो जाता है। सदर अस्पताल का पोस्टमार्टम हाउस ही लावारिस शवों को रखने का एकमात्र जगह है। एक और जहां शवों का पोस्टमार्टम होता है वही उसके बगल के कमरे में लावारिस लाश रखे रहते हैं। प्रशासनिक स्तर पर सुविधा उपलब्ध नहीं रहने के कारण लाशों से दुर्गंध भी निकलती है। फ्रीजर की सुविधा उपलब्ध नहीं रहने के कारण शव को सुरक्षित रखना मुश्किल है। वैसे सुरक्षित रखने के लिए केमिकल का उपयोग किया जाता है। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
प्रदीप गुप्ता, पुलिस अधीक्षक महराजगंज