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गुरु की प्रेरणा व मार्गदर्शन से मिली मंजिल

रोहित सिंह सजवान (आइपीएस) एसपी महराजगंज ने कहा कि किसी व्यक्ति के निर्माण में समाज परिवार और विद्यालय का महत्वपूर्ण स्थान होता है। विद्यालय में शिक्षकों या गुरुओं के माध्यम से व्यक्ति शिक्षा ग्रहण करता है और अपने जीवन की एक दिशा तय करता है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 10:40 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:04 AM (IST)
गुरु की प्रेरणा व मार्गदर्शन से मिली मंजिल
गुरु की प्रेरणा व मार्गदर्शन से मिली मंजिल

डा. उज्ज्वल कुमार (आइएएस)

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जिलाधिकारी, महराजगंज ने कहा कि मेरे पिता विजय कुमार सिंह ही मेरे गुरु हैं। गुरु अज्ञान को दूर करके हमें ज्ञान का प्रकाश देता है। शिक्षक का ज्ञान और छात्र की ऊर्जा का एक सम्मिलन एक जीवंत प्रगतिशील समाज के निर्माण की ओर ले जाता है। पिताजी प्रोजेक्ट हाईस्कूल मिश्रौल चेतरा, झारखंड में पढ़ाते थे। मैं उसी स्कूल में पिता की सानिध्य में हाईस्कूल तक पढ़ाई किया। इस दरम्यान शिक्षक नरेंद्र मिश्र, वनस्पति विज्ञान के शिक्षक सुरेश जैन तथा हैदराबाद विश्वविद्यालय वैटनरी साइंस के शिक्षक गोपाल रेड्डी ने भी मार्गदर्शन किया। छात्र जीवन में सबसे पहले जो सबक सिखाया जाता है, वह होता है अनुशासन। अनुशासित व्यक्ति ही एक सभ्य समाज की नींव रखता है। पिताजी हमेशा अनुशासन, मेहनत और चरित्र निर्माण पर विशेष जोर देते थे। अनुशासन राष्ट्रीय जीवन का प्राण है। यदि सभी अनुशासन में रहेंगे तो कहीं किसी प्रकार की गड़बड़ी या अशांति नहीं होगी। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मैं अपने सभी गुरुजनों, जिन्होंने मेरे जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रेरणा दी है, उन्हें नमन करता हूं।

पवन अग्रवाल, (आइएएस)

सीडीओ, महराजगंज ने कहा कि

मेरी माता हेमलता गुप्ता व पिता मगन लाल गुप्ता सरकारी स्कूल में शिक्षक थे। बचपन से ही माता-पिता का गुरु के रूप में सबक व संस्कार मिलता रहा। मेरी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के करौली जिला अंतर्गत पिलौदा गांव में हुई। एक भाई सौरभ आइपीएस और एक भाई कस्टम विभाग में हैं। गुरु का स्थान तो सदैव सर्वोपरि है, लेकिन मनुष्य को अपनी गलतियों को भी गुरु मानना चाहिए और दोबारा वह गलती नहीं करना, जिन कारणों से गलती हुई और उसे भी समाप्त करना चाहिए। मनुष्य गलतियों को गुरु माने तो जीवन में मर्यादा, शालीनता और संस्कारों में बढ़ोत्तरी होती है। गलतियां हमें जीना सिखाती हैं। एक बच्चा जब दुनिया में आता है तो वह कुछ भी नहीं जानता है। वह पर्यावरण और समाज से कई चीजें सीखता है। मां से वह खड़ा होना सीखता है। पिता से वह चलना सीखता है। दोस्तों से सामाजिक होना और एक शिक्षक से वह ज्ञान और शिक्षा जो बिना किसी मार्ग दर्शन के संभव नहीं है। वह दूसरों के मार्ग दर्शन से सब कुछ सीखता है। मैं अपने गुरुजनों को हृदय से नमन करता हूं।

रोहित सिंह सजवान (आइपीएस)

एसपी, महराजगंज ने कहा कि

किसी व्यक्ति के निर्माण में समाज, परिवार और विद्यालय का महत्वपूर्ण स्थान होता है। विद्यालय में शिक्षकों या गुरुओं के माध्यम से व्यक्ति शिक्षा ग्रहण करता है और अपने जीवन की एक दिशा तय करता है। मेरी शिक्षा उत्तराखंड में सरस्वती विहार, नैनीताल से एक छात्रावासी विद्यालय में होने के कारण बचपन में काफी अधिक समय गुरुओं के सानिध्य में बीता। जहां शिक्षा के साथ ही साथ नैतिक मूल्यों पर भी बहुत जोर दिया जाता था। स्व-अनुशासन, समय-पालन, परिश्रम जैसे बहुत सी चीजें सरलता से सिखाई जाती थी। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मैं अपने सभी गुरुओं को जिन्होंने मेरे जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रेरणा दी है। उन सभी को नमन करता हूं। मैं सभी छात्रों से यह कहना चाहता हूं जीवन में आगे चलकर सभी छात्रों के सोच और व्यक्तित्व में उनके विद्यालय और गुरुओं की छाप नजर आती है। इसलिए कभी ऐसा आचरण न करें, जिससे आपके शिक्षकों या गुरुओं को सिर झुकाना या शर्मिंदा होना पड़े।


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