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जीव और ब्रह्मा का मिलन ही रास : डा. मदन मोहन

भगवान कृष्ण अगर चीर का हरण करते हैं तो चीर बढ़ाते भी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 12:17 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 12:17 AM (IST)
जीव और ब्रह्मा का मिलन ही रास : डा. मदन मोहन
जीव और ब्रह्मा का मिलन ही रास : डा. मदन मोहन

महराजगंज: कामना रूपी कंस दैवीय शक्ति रूपी देवकी का रथ संचालित करता है, तो परमात्मा उसे बीच में ही रोक देता है। कृष्ण के स्मरण से ही कामनाओं का कंस समाप्त हो सकता है। जिसकी भावनाएं पवित्र नहीं हैं वही पूतना है। कितु दूध पिलाने की उसकी भावना के कारण उसे मां की गति प्रदान की जाती है। भगवान कृष्ण अगर चीर का हरण करते हैं तो चीर बढ़ाते भी हैं। आज समाज में चीर हरण करने वाले लोग तो हैं कितु चीर बढ़ाकर रक्षा करने का साम‌र्थ्य उनमे नहीं है।

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उक्त बातें वाराणसी से पधारे कथावाचक डा. मदन मोहन मिश्र ने कही। वह शुक्रवार को क्षेत्रीय ग्राम बरगदवा माधोपर में आयोजित संगीतमयी श्रीमद भागवत कथा का श्रद्धालुओं को रसपान करा रहे थे। उन्होंने कहा कि चीर का तात्पर्य आवरण से है। जब माया का आवरण हटता है तभी श्रीकृष्ण की प्राप्ति होती है। जीव और ब्रह्मा का मिलन ही रास है। जो इंद्रियों से श्रीकृष्ण के रस का पान कराती है वही गोविद है। श्रीमद् भागवत का दशम स्कंद श्री कृष्ण का हृदय है। इस अवसर पर महंत अखिलेश तिवारी, डॉ कृष्णकांत शास्त्री, संजय तिवारी शास्त्री, रमाकांत शास्त्री, उमाशंकर शास्त्री, मुकेश पांडेय, विशाल पांडेय, आशीष पांडेय, प्रशांत तिवारी, दीप्ति तिवारी, प्रियंका पांडेय, वेदांत पांडेय, विनायक पांडेय, मनीष पांडेय, राजू मिश्र, अरबिद पांडेय, राजेश पांडेय, कमलेश्वर मिश्र, रिशु पांडेय आदि लोग उपस्थित रहे। भरत के त्याग का आदर्श अपनाने से ही राष्ट्र कल्याण संभव

महराजगंज: भक्ति, रति और त्याग का ही नाम भरत है। संसार मे भाई उसे कहते हैं जो संपत्ति का बंटवारा करते हैं। कितु रामायण में भाई वह हैं जो विपत्ति का बंटवारा करते हैं। क्रिया शक्ति कैकेयी में जब लोभ रूपी मंथरा का प्रवेश होता है तब राम दूर चला जाता है। नारी जब परमार्थी बनती है तो पति का प्राण बचा लेती है। उक्त बातें भोपाल पधारीं साध्वी प्रेमलता ने कही। वह गुरुवार को क्षेत्र के बरगदवा माधोपुर गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का श्रद्धालुओं को रसपान कर रही थी। उन्होंने कहा कि जहां सुमति है, वहां संपत्ति है। कुमति के कैकेयी द्वारा ही अयोध्या में विपत्ति का बीज बोया जाता है। उसको बढ़ाने में दासी रूपी मंथरा उत्प्रेरक बनकर सहायता करती है। इसलिए व्यक्ति को जीवन मे अच्छे लोगों का संग, शास्त्रों का अध्ययन एवं भगवान पर विश्वास करना चाहिए। कठिन तपस्या से मिलता है मुनष्य का जन्म

महराजगंज: राम-राम दो बार ही जपा कीजिए। सोते-जागते या रास्ते चलते सिर्फ दो ही बार राम-राम कहने से प्रभु हमारी भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं। जरूरी नहीं कि आडंबर के साथ ही भक्ति का प्रदर्शन किया जाए भक्ति का यह अमृत वर्षा गुरुवार की शाम जमुहरा कला पंचदेव मंदिर पर बदरीनाथ धाम से पधारे महामंडेश्वर बालक योगेश्वर दास जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जन्म संसार में अच्छे कर्म करने के लिए हुई है। रात में सोने से पहले सिर्फ राम-राम स्वच्छ मन से कहें। प्रभु प्रसन्न हो जाएंगे, प्रभु आप के रोम-रोम मे विराजमान हैं। उन्हे पता है कि हमें इस धरा पर कर्तव्यों के निर्वहन के लिए ही भेजा गया है। महामंडेश्वर बालक योगेश्वर दास जी महाराज ने कहा कि संसार को संचालित करने के लिए परम पिता ब्रह्मा जी को जिम्मेदारी दी गई और ब्रह्मा जी ने सर्व प्रथम मानव जाति को सृजित किया, ताकि इस धरती पर ब्रह्मा जी के कर्तव्यनिष्ठा को आगे बढ़ा सकें। जिस तरह अपने मां और बहन महान है उसी तरह दूसरे की भी महान हैं। आप लोग अच्छे कर्म से महान बनिए, लेकिन किसी से द्वेष भावना मत रखिए। मानव जन्म बड़े ही कठिन तपस्या से मिलता है।


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