20 दिन बाद भी पकड़ में नहीं आए शूटर
10 संदिग्ध शूटरों की सूची इधर-उधर पुलिस अफसरों के टेबल पर घूम रही है लेकिन बदमाशों की लोकेशन कहा पर है यह किसी को नहीं पता।
महराजगंज: जिला पंचायत सदस्य के बेटे जितेंद्र यादव को गोलियों से छलनी करने वाले शूटर 20 दिन बाद भी पुलिस के हाथ नहीं लग पाए। हाईप्रोफाइल मामले के शांत होते ही पुलिस की चाल बदल गई। हत्या की वजह तो पुलिस ने बता दी, लेकिन गोली किन शूटरों ने चलाई, इस बात की तस्दीक होनी अभी बाकी है।
हत्या में नौ एमएम के इस्तेमाल के बाद भी पुलिस वारदात को पूरी संजीदगी से नहीं ले रही। पुलिस की मुखबिरी पूरी तरह से फेल नजर आ रही है। सर्विलांस सेल भी कुछ खास नहीं कर पाया। परिवार के लोग पहले से ही भयभीत हैं। 10 संदिग्ध शूटरों की सूची इधर-उधर पुलिस अफसरों के टेबल पर घूम रही है, लेकिन बदमाशों की लोकेशन कहा पर है, यह किसी को नहीं पता।
नौ दिसंबर को फरेंदा के महुअवा-महुई के पास दो शूटरों ने पुरंदपुर क्षेत्र के बरगदवा हरैया निवासी व जिला पंचायत सदस्य के पुत्र जितेंद्र यादव पर ताबड़तोड़ फायरिग कर हत्या कर दी। हमले में चेहरी निवासी जितेंद्र यादव को भी गोली लगी। मृतक की पत्नी बबिता यादव की तहरीर पर रामवृक्ष पासवान, महावीर पासवान, दीनानाथ पासवान, रामकेश पासवान व दो अज्ञात बदमाशों पर केस दर्ज हुआ। तीन नामजद जेल जा चुके हैं । पुलिस का दावा है कि हत्या पुरानी रंजिश में हुई है।
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पुलिस को देने हैं, कई सवालों के जवाब:
हत्या पुरानी रंजिश में हुई तो नामजद आरोपितों से पूछताछ में शूटरों का नाम प्रकाश में क्यों नहीं आया। गोली मारने वाले बदमाश कौन थे, वह से आए थे। उन्हें किसने हायर किया, हत्या की सुपारी कितने में दी गई। शरणदाता कौन हैं। वारदात के बाद वह कहा भागे। इस सवालों का जवाब पुलिस को अभी देना है। न्याय की उम्मीद में बैठे पीड़ित परिवार का भरोसा पहले ही पुलिस से उठ चुका है। इन सवालों की गुत्थी सुलझाने में पुलिस को समय लगेगा।
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आधा दर्जन बदमाशों की सूची हाथ में है। काम चल रहा है, दो अज्ञात शूटरों की पहचान करना बड़ी चुनौती है।
रोहित सिंह सजवान, एसपी