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कट गए छायादार पेड़, छांव के लिए तरस रहे राहगीर

महराजगंज: अप्रैल माह के अंतिम दिनों में आसमान से आग उगलती सूरज की किरणों ने हर ओर हाहाकार मचा दिया ह

By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Apr 2018 11:04 PM (IST)Updated: Tue, 24 Apr 2018 11:04 PM (IST)
कट गए छायादार पेड़, छांव के लिए तरस रहे राहगीर
कट गए छायादार पेड़, छांव के लिए तरस रहे राहगीर

महराजगंज: अप्रैल माह के अंतिम दिनों में आसमान से आग उगलती सूरज की किरणों ने हर ओर हाहाकार मचा दिया है। तीर की तरह चुभती किरणों से बचने के लिए मनुष्य हो या पशु-पक्षी सभी छांव की तलाश में भागते देखे जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि हरियाली के दुश्मनों को इस कदर धन की हवश सवार हुई कि वे एक-एक कर क्षेत्र के सभी बाग-बगीचों का सफाया करते चले गए। हालत यह है कि जिस स्थान पर कभी छाया के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा रहती थी। वह स्थान अब निर्जन व सूनसान नजर आ रहे हैं।इतना ही धन कमाने की चाहत में लकड़ी माफियाओं ने सड़क के दोनों किनारों पर लगे छायादार पेड़ों को भी अधिकारियों की मिलीभगत से सफाया कर दिया। हालत यह है कि बेतहाशा पड़ रही गर्मी के मौसम में लू के थपेड़ों के साथ चल रही गर्म हवाओं ने राहगीरों के शरीर को झुलसाना शुरू कर दिया है। परेशान लोग छांव न मिलने से पुराने दिनों को याद कर पर्यावरण के दुश्मनों को कोस रहे हैं। शादी-विवाह का समय होने के कारण मजबूर लोग अपनी निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए सड़कों पर लंबी दूरी तय कर रहे हैं और इस उम्मीद में आगे बढ़ रहे कि शायद कुछ आगे बढ़ने पर उन्हें छांव मिल जाए लेकिन उन्हें इतनी तलाश के बाद भी छांव नसीब नहीं हो पा रही है। नौतनवा तहसील क्षेत्र की कुछ सड़कें जैसे नौतनवा-ठूठीबारी मार्ग, महदेइयां-भगवानपुर मार्ग, रतनपुर- खोरिया मार्ग, असुरैना-दोगहरा मार्ग इनके किनारे करीब दशक भर पूर्व हरे छायादार पेड़ों की एक लंबी कतार दिखाई देती थी। गर्मी के मौसम में गुजरने वाले राहगीर तपती दोपहरी में पेड़ों के छांव तले तौलिया या गमछा बिछाकर घंटों पड़े रहते थे और सूरज की तपिश कम होने पर आगे की यात्रा पूरी करते थे, लेकिन हालात इतनी तेजी से बदले की छायादार पेड़ों से ढकी सड़कें देखते ही देखते वीरान होती चली गई।

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