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दिव्यांगता की बेड़ियों को तोड़ रहे शमसुलहोदा

दो बूंद जिदगी के फिक्रमंद बने शमसुलहोदा

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 06:06 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 06:06 PM (IST)
दिव्यांगता की बेड़ियों को तोड़ रहे शमसुलहोदा
दिव्यांगता की बेड़ियों को तोड़ रहे शमसुलहोदा

महराजगंज: खिलखिलाते बचपन को दिव्यांगता की बेड़िया न जकड़ लें, इस लिए फरेंदा कस्बे के विकासनगर निवासी 42 वर्षीय शमसुलहोदा खासे फिक्रमंद हैं। इसी को लेकर वर्ष 2017 से मुहिम चला रहे हैं। पोलियो मुक्त भारत का ख्वाब देख, वह प्रतिदिन लोगों को जागरूक कर रहे हैं। स्वास्थ्य महकमा समसुलहोदा के जरिये प्रतिरोधी परिवारों को समझाकर करीब 1500 बच्चों को पोलियो की दवा पिला चुका है। उनके इस काम की सराहना लोग कर रहे हैं। मिली प्रेरणा, कर रहे जागरूक:

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शमसुलहोदा कहते हैं कि पोलियो अभिशाप के रूप में फैला था। हमने बचपन से ही मुहल्ले व कस्बे में कई बच्चों को शारीरिक रूप से दिव्यांग होते देखा था। वहीं इलाज के दौरान बीआरडी मेडिकल कालेज में दिव्यांग बच्चें को तड़पता देख मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। इसके बाद आसपास के लोगों पर निगाह रखनी शुरू कर दी। जब वह टीम के जरिये दवा पिलाने से इंकार कर देते तो मुझे बेहद अफसोस होता। ऐसे लोगों को सही रास्ते पर लाने का मकसद लगभग तीन साल से जारी है। अब तक व्यक्तिगत प्रयास से 1500 बच्चों को दो बूंद जिदगी की पिलाई गई है। इन गांवों में चलाया अभियान:

फरेंदा क्षेत्र के परसाबेनी, तिलकहना, नियामतपुर, करीमपुर, गोपालापुर, लेजार महदेवा सहित अन्य गांव में अभियान चलाया गया। प्रतिरोधी परिवारों को समझाने के लिए चौपाल लगाई। इसके साथ ही उन्होंने फरेंदा कस्बे में हाफिज सुजात फैज-ए-आम चैरिटेबल ट्रस्ट के जरिये 2017 में जिला स्तरीय पोलियो उन्मूलन के लिए कार्यक्रम भी आयोजित किया। इस दौरान तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी डा. क्षमाशंकर पांडेय ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। बच्चे देश के भविष्य हैं। इनके स्वस्थ्य शरीर से ही देश का भविष्य मजबूत होगा। दिव्यांग का सबसे बड़ा अभिशाप है।

शमसुलहोदा, समाजसेवी


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