कोरोना संक्रमण लॉकडाउन में France के परिवार का ठिकाना महराजगंज का गांव, बदली जीवनशैली
Positive in LockDown फ्रांसीसी परिवार की भारतीय सनातन धर्म से आस्था की ऐसी डोर बंध गई है कि यह इसके सहारे कोरोना से मुक्ति व विश्व कल्याण की कामना कर रहे हैं।
महराजगंज, जेएनएन। विश्व भर में कहर बना गया कोरोना वायरस का संक्रमण तो फ्रांस के एक परिवार के लिए बेहद ही फलदायक हो गया है। भारत के रमणीय स्थलों का भ्रमण करने के बाद सीमा से सटे प्रदेश के जिले महराजगंज के रास्ते नेपाल जाने की तैयारी में लगा फ्रांस का परिवार लॉकडाउन में फंस गया। महराजगंज के जिला प्रशासन ने इनको गेस्ट हाउस या फिर होटल में रोकने का अनुरोध किया, लेकिन इस परिवार को यहां के एक गांव की आबो-हवा ऐसी रास आ गई कि इनकी जीवनशैली ही बदल गई।
भारत की यात्रा पर आए फ्रांस का का एक परिवार लॉकडाउन में फंस गया। इसमें भी इस परिवार को महराजगंज का एक गांव इतना भा गया और अब इनको वहां का वातावरण इतना रास आ गया है कि शाकाहारी में बदलने के साथ यह परिवार रोज सुबह गांव के शिव मंदिर में भजन-कीर्तन में जुट जाता है। फ्रांसीसी परिवार की भारतीय सनातन धर्म से आस्था की ऐसी डोर बंध गई है कि यह इसके सहारे कोरोना से मुक्ति व विश्व कल्याण की कामना कर रहे हैं। भगवान शंकर, मां दुर्गा व प्रभु राम की नियमित पूजा करते हैं। जयकारा लगाते हैं तो सारा गांव इनके साथ स्वर मिलाता है। पिछले एक माह से जिले के लक्ष्मीपुर क्षेत्र स्थित कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवा गांव का मंदिर इनका ठिकाना बना हुआ है। गांव के लोगों के यह लोग इतने घुल-मिल गए कि परिवार ने होटल या गेस्ट हाउस में रहने की जिला प्रशासन की पेशकश को अस्वीकार कर दिया।
22 देशों की यात्रा
फ्रांस के टॉलोस शहर के रहने वाले पैलेरेस इनट्राइज जोसेफ अपनी पत्नी ब्लेनचाई इप पैलेरस, बेटियों ओपैलो मार्गीमाइड व पैलेरेस लोला जेनफर तथा बेटा पैलेरेस ट्राममेटिव के साथ यहां पहुंचे। पैलेरेस खास गाड़ी से फरवरी से भारत भ्रमण पर हैं। अब तक 22 देशों की यात्रा कर चुके वर्जीनी भारत में रमणीय स्थलों का भ्रमण करने के बाद नेपाल जाने के लिए सोनौली पहुंचे। सीमा बंद होने के कारण नेपाल में इनको एंट्री नहीं मिली। वापसी गोरखपुर की ओर हुई तब तक लॉकडाउन शुरू हो गया। इसके बाद तो लक्ष्मीपुर के कोल्हुआ ढाला उर्फ सिहोरवा के पास शिव रामजानकी हनुमान मंदिर परिसर इनका ठिकाना बन गया। अब पूरा लॉकडाउन यहीं बिताने का इरादा है। लॉकडाउन खुलने के बाद नेपाल जाएंगे।
पलारैस वर्जीनी ने बताया कि एक मार्च को वो वाघा सीमा पार करके पाकिस्तान से आए थे। इसके बाद पंजाब तथा उत्तर प्रदेश में घूमने के बाद अब नेपाल जाना था। नेपाल के बाद म्यांमार, इंडोनेशिया और मलेशिया होते हुए वापस फ्रांस जाने की योजना थी, लेकिन अब देखते हैं कि लॉकडाउन के कारण यहां से कब निकलना होता है। हमको यहां बहुत अच्छा लग रहा है। उन्होंने बताया कि 21 मार्च को उनका नेपाल जाने का कार्यक्रम था और वो नेपाल की सीमा में जब प्रवेश करने वाले थे, उसके अगले दिन जनता कर्फ्यू था। उस दिन तो यह लोग यहां महराजगंज के लक्ष्मीपुर ब्लॉक के कोल्हुआ गांव में एक मंदिर में रुक गए। इसके दो दिन बाद ही लॉकडाउन घोषित कर दिया गया और सभी अंतरराष्ट्रीय सीमाएं सील कर दी गईं, जिसके बाद इन लोगों को यहीं रुकना पड़ा।
बदल गई जीवनशैली
फ्रांसीसी कुनबा अब किसी से भी मिलने पर हाथ जोड़कर कहता है राम-राम, सीताराम। परिवार की महिला बच्चों के साथ सूर्योदय होते ही मंदिर में नजर आती है। कुनबा अब मंत्रोच्चार करता है। मांसाहार की जगह शाकाहार में रुचि बढ़ गई है। शिव परिवार में ऐसी आस्था रम रही है कि फ्रांस वापस जाने के बाद भी पूजा-पाठ करते रहने का मन बना लिया है। यहां लॉकडाउन में पिछले एक महीने से फंसा यह फ्रांसीसी परिवार महराजगंज के एक मंदिर में टिका है। अब तो यह परिवार कहता है कि कोरोना को बाबा भोलेनाथ, गणेश जी और बगरंजबली हनुमान जी भगाएंगे।
हर सुबह मंदिर में पूजा और शाम आरती में बीत रही
लॉकडाउन ने परिवार को बदलकर रख दिया है। इनकी सुबह स्नान के बाद शिवमंदिर में ही बीतती है। फ्रांस में फार्मेसी सेवा से जुड़ी पैट्रिक पति व बच्चों के साथ पुजारी संग मंदिर में आसन जमा लेती हैं। सभी एक स्वर से ऊं नम:शिवाय का जाप करते हैं। सुबह शाम पूजा-आरती कर कोरोना भगाने के लिए भोलेनाथ से गुहार लगा रहे हैं। परिसर में स्पष्ट मंत्रोच्चार के साथ जयघोष करता यह परिवार अब भारतीय संस्कृति में ढलता जा रहा है।
पुजारी की पूजा-भक्ति देख जागी आस्था
मंदिर के पुजारी उदयराज दास कहते हैं कि शुरू में यह लोग घुल-मिल नहीं पा रहे थे। यह लोग कुछ समझ नहीं रहे थे, लेकिन कुछ ही दिनों में बिना बुलाए स्नान कर पूरा परिवार उनके साथ में बैठने लगा। अब सुबह-शाम यह क्रम बिना नागा बना हुआ है। यह सभी लोग जोर-जोर से जयकारा लगाते हैं। इस दौरान टूटी-फूटी भाषा में मंत्रोच्चारण की कोशिश भी करते हैं। गणेश जी व बजरंग बली का जयघोष करते हैं। बिना पूजा के अन्न-जल ग्रहण नहीं करते।
शिव परिवार की पूजा करता रहेगा यह कुनबा
वनग्राम अचलगढ़ निवासी राहुल तिवारी इस परिवार से घुल-मिल गए हैं। राहुल अंग्रेजी बोल लेते हैं, जिसकी वजह से परिवार आसपास के लोगों की बात और अन्य चीजें उनसे समझता है। राहुल कहते हैं कि इस परिवार को पूजा-पाठ व शिव परिवार की भक्ति बहुत भा गई है। इनका कहना है कि वतन लौटने के बाद भी ये शिव जी, गणेश जी, पार्वती जी और हनुमान जी की पूजा करते रहेंगे।
इनकी आस्था का जवाब नहीं
शिव मंदिर कोल्हुआ, महराजगंज के पुजारी हरिदास ने कहा कि हम तो आदि काल से अतिथि को देवता के रूप में पूजते आ रहे हैं। सौभाग्य की बात है कि विदेशी मेहमान मंदिर परिसर में रुके हैं। सेवा का मौका मिला है। प्रतिदिन सुबह पूजन के बाद यह परिवार जयकारा लगाता है। इनकी आस्था देखते ही बनती है।
मांसाहार छोड़ दाल-भात भाने लगेे
परिवार हर सुबह मंदिर के पुजारी उदयराज दास के साथ भोजन करता है। पुजारी कहते हैं कि बुलाते ही सभी जुट जाते हैं। बड़े चाव से दाल-भात, रोटी, सब्जी व सलाद खाते हैं। दिन में मैगी जैसे फास्ट फूड और रात में फल खाते हैं।
नमस्ते बोल कर करते हैं अभिवादन
मंदिर परिसर में किसी के पहुंचने पर नमस्ते बोल अभिवादन करते हैं। किसी ग्रामीण के घर चाय पीने के बाद कहते हैं, चाय बहुत अच्छी है। यह भी अक्सर कहते हैं कि इंडिया इज ग्रेट।
आठ माह तक है देशाटन की योजना
पैलेरेस इनट्राइज जोसेफ पत्नी व बच्चों के साथ बीते फरवरी माह में फ्रांस से यात्रा पर निकले थे। पहली मार्च को बाघा बार्डर से होते हुए भारत में प्रवेश किए। आगामी आठ माह में इनकी नेपाल , म्यांमार, इंडोनेशिया, थाईलैंड मलेशिया घूमने की योजना है। मार्च माह में भारत- नेपाल सीमा सील होने के कारण यह लोग नेपाल में प्रवेश नहीं कर पाए। तभी से यह परिवार यहां मेहमान बना है। इतने दिनों में इन्हें हिन्दी की आवश्यक जानकारी भी हो गई है। इतने दिनों में इनको जरूरत भर के हिन्दी की जानकारी भी हो गई है।
चलता- फिरता मकान है इनका वाहन
पैलेरेस इनट्राइज जोसेफ का वाहन चलता फिरता मकान है। इसमें रहने खाने की पूरी व्यवस्था है। पैलेरेस इनट्राइज जोसेफ की दोनों बेटियां ग्रेजुएट हैं। बेटा पैलेरेस ट्राममेटिव कक्षा नौवीं का छात्र है। पत्नी फ्रांस के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत हैं। पैलेरेस इनट्राइज जोसेफ खुद मोटर मैकेनिक हैं।
सामान उपलब्ध कराने के साथ जांच की कराई गई
नौतनवां के उप-जिलाधिकारी जसवीर सिंह ने बताया कि प्रशासन की ओर से इन लोगों को खाने-पीने का सामान उपलब्ध कराया जा रहा है और उनकी जांच भी कराई गई। सभी लोग जांच में स्वस्थ पाए गए। हम लोगों ने इनसे अनुरोध किया कि कहीं बेहतर जगह रुकने की व्यवस्था कर दी जाए लेकिन इनका कहना था कि यहां उन्हें अच्छा लग रहा है। यह लोग जंगल के पास बने मंदिर के पास ही रुके हुए हैं। यहां पर जिला प्रशासन के लोग नजर रखे हुए हैं कि किसी तरह की असुविधा न हो। गांव के लोगों से इन्हें काफ़ी सहयोग मिल रहा है। यह फ्रांसीसी परिवार पिछले कई महीने से अपने ही विशेष वाहन से कई देशों के भ्रमण पर निकला है।