फिर हरे हो गए घाव, 15 मौतों का गवाह बना था बंदी ढाला
महराजगंज: कुशीनगर जिले में रेलवे स्टेशन के निकट मानव रहित क्रा¨सग पर ट्रेन व स्कूल वाहन की टक्कर में
महराजगंज: कुशीनगर जिले में रेलवे स्टेशन के निकट मानव रहित क्रा¨सग पर ट्रेन व स्कूल वाहन की टक्कर में हुई 13 मासूमों की मौत ने पूरे प्रदेश को दहला कर रख दिया है। इस हृदय विदारक घटना ने घुघली रेलवे परिक्षेत्र में स्थित बंदी ढाले पर चार वर्ष पूर्व हुए हादसे की याद ताजा कर दिया है, जिसमें एक ही गांव के 15 लोगों की मौत हो गई थी। खबर के मुताबिक नौ मई 2014 दिन गुरुवार समय रात्रि 01:40 कोठीभार थानाक्षेत्र के ग्रामसभा होरिलापुर से कुशीनगर जनपद में बारात गई थी।
उसी दिन रात को 16 लोग बोलेरो में सवार होकर बारात से गांव लौट रहे थे। गांव के बिलकुल करीब मानव रहित बंदी रेलवे क्रा¨सग पर गोरखपुर से नरकटियागंज की तरफ जा रही एक्सप्रेस ट्रेन से टक्कर हो गई, जिसमें 13 की मौत घटना स्थल पर ही हो गई तथा तीन घायल हो गए, जिसमें से दो की मौत इलाज के दौरान हो गई थी। इस घटना को संज्ञान में लेते हुए रेलवे प्रशासन ने वर्ष 2016 में बंदी रेलवे क्रा¨सग को समपार फाटक में तब्दील कर दिया।
कुशीनगर घटना की सूचना होरिलापुर गांव में पहुंची तो चार वर्ष पूर्व बंदी हादसे की याद एक बार फिर ताजा हो गई। अपने जवान बेटे और पोते को खो चुके परमेश्वर ने कहा कि अपने को खोने का गम क्या होता है, जिस पर बीतती है , वही जानता है। 18 मासूमों की मौत से आहत परमेश्वर ने कहा कि सरकार को मानव रहित क्रा¨सग को खत्म कर देना चाहिए। हादसे में अपने पती को खो चुकी रंभा,माया,मीरा व किरन तथा अपने मासूम पोते दीपक को खो चुके रामनरेश ने कहा कि रेल लाइन क्रास करने वाली पगडण्डी अब पक्की सड़क में तब्दील हो गई। आबादी बढ़ी, सडकों पर वाहनों का कतार लगा, ट्रेनों का संचलन भी बढ़ा, मगर व्यवस्था अभी भी अंग्रेजों के जमाने की है। सरकार को चाहिए कि पूरे भारत में मानव रहित रेलवे क्रा¨सग को समाप्त कर दे।